अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मेक्सिको और चीन से आयात पर नई टैरिफ़्स की घोषणा की: अमेरिकी श्रमिकों की सुरक्षा के लिए एक कदम

KKN गुरुग्राम   डेस्क | अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मेक्सिको और चीन से होने वाले आयात पर नई टैरिफ़्स लगाने की घोषणा की है, जो अमेरिकी श्रमिकों और उद्योगों की रक्षा करने के उद्देश्य से किया गया है। ट्रंप का कहना है कि यह कदम “अन्यायपूर्ण व्यापार प्रथाओं” से बचने और अमेरिकी आर्थिक हितों की रक्षा करने के लिए आवश्यक है। हालांकि, इस निर्णय ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है और प्रभावित देशों द्वारा जवाबी कदम उठाने का सिलसिला शुरू हो गया है।

यह कदम वैश्विक व्यापार पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है, और इसके साथ-साथ उपभोक्ताओं पर भी इसके प्रतिकूल प्रभाव के अनुमान लगाए जा रहे हैं। ट्रंप का कहना है कि इन टैरिफ़्स का “दर्द” लंबे समय में अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लाभ में बदलेगा। लेकिन इस फैसले से वैश्विक व्यापार संघर्ष और आर्थिक तनाव बढ़ने की संभावना है।

प्रतिक्रियाएँ और जवाबी कदम

टैरिफ़्स की घोषणा के बाद मेक्सिको, चीन और कनाडा जैसे देशों ने अमेरिका से आयात पर जवाबी कदम उठाने की धमकी दी है।

  • मेक्सिको ने अमेरिकी निर्मित स्टील, बोरबोन और डेरी उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ़्स लगाने का फैसला लिया है। यह कदम अमेरिकी उत्पादों के लिए बड़े झटके के रूप में सामने आया है और इस कदम का असर अमेरिकी निर्यातकों पर पड़ने की संभावना है।
  • कनाडा ने भी 25% टैरिफ़्स लगाने की घोषणा की है। कनाडा अब 4 फरवरी से अमेरिका से 30 बिलियन डॉलर के आयात पर 25% टैरिफ़्स लगाएगा। यह कदम विशेष रूप से कृषि उत्पादों और ऑटोमोबाइल पर केंद्रित है, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण घटक हैं।
  • चीन पहले ही अमेरिकी उत्पादों की खरीद में कमी कर चुका है और अब उम्मीद की जा रही है कि चीन इन टैरिफ़्स के जवाब में अपनी नीति में और सख्ती ला सकता है।

वैश्विक स्टॉक बाजार में गिरावट

ट्रंप द्वारा टैरिफ़्स लगाने की घोषणा के बाद, वैश्विक वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल मच गई है। अमेरिकी स्टॉक इंडेक्स, जैसे डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज, में बड़ी गिरावट आई है, और यूरोपीय व एशियाई बाजारों पर भी इसका असर पड़ा। निवेशकों में यह चिंता है कि इन टैरिफ़्स के कारण वैश्विक विकास की गति धीमी हो सकती है।

भारतीय शेयर बाजार पर भी इसका असर पड़ा। सेंसेक्स और निफ्टी जैसे प्रमुख भारतीय सूचकांकों में गिरावट आई, जिससे निवेशकों के बीच चिंता बढ़ी।

उपभोक्ता कीमतों में वृद्धि

टैरिफ़्स की वजह से कई उत्पादों की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जो सीधे तौर पर उपभोक्ताओं को प्रभावित करेगा। चीन से आयात होने वाले स्मार्टफोन्सलैपटॉपइलेक्ट्रॉनिक्स और घरेलू उपकरण महंगे हो सकते हैं। इसी तरह, मेक्सिको से आने वाले कारों और आवाकाडो जैसी खाद्य उत्पादों की कीमतों में वृद्धि हो सकती है।

इससे पहले ही बढ़ती महंगाई के बीच उपभोक्ताओं के लिए रोज़मर्रा की वस्तुओं की कीमतों में और इजाफा हो सकता है। खुदरा व्यापारियों ने चेतावनी दी है कि इन टैरिफ़्स का असर अंततः उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, और सामान महंगा हो जाएगा।

मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव

टैरिफ़्स के बाद अमेरिकी डॉलर की कीमत में वृद्धि देखी गई है। डॉलर इंडेक्स 0.11% बढ़कर 109.65 तक पहुंच गया। इसके परिणामस्वरूप अमेरिकी डॉलर ने चीनी युआनमेक्सिकन पेसो और कनाडाई डॉलर जैसी मुद्राओं के मुकाबले मजबूती हासिल की।

हालांकि, मेक्सिकन पेसो और चीनी युआन की कीमतें डॉलर के मुकाबले गिर गई हैं, जिससे इन देशों की मुद्राएं कमजोर हो गईं। इससे यह संकेत मिलता है कि इन देशों की अर्थव्यवस्था पर इन टैरिफ़्स का भारी असर पड़ सकता है।

ट्रंप का बचाव: “दर्द लाभकारी होगा”

ट्रंप ने अपनी घोषणा के बाद कहा कि यह कदम अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक था, भले ही इसके परिणामस्वरूप कुछ शॉर्ट-टर्म दर्द हो। उन्होंने कहा, “क्या कुछ दर्द होगा? हां, हो सकता है। लेकिन हम अमेरिका को फिर से महान बनाएंगे, और यह सब उस कीमत के लायक होगा जो चुकानी पड़ेगी।”

ट्रंप ने इसे “अमेरिका फर्स्ट” नीति का हिस्सा बताया और कहा कि इन टैरिफ़्स का उद्देश्य अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करना और अमेरिकी विनिर्माण नौकरियों को फिर से देश में लाना है।

अमेरिकी उत्पादकों और व्यापार समूहों की चिंता

अमेरिका के कई उत्पादक, विशेष रूप से ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माता, इन टैरिफ़्स से प्रभावित हो सकते हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि इससे उत्पादन की लागत बढ़ेगी, जिससे या तो नौकरियों में कटौती हो सकती है या फिर उत्पादन को अन्य देशों में स्थानांतरित किया जा सकता है।

व्यापार समूहों, जैसे कि यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स, ने भी इन टैरिफ़्स का विरोध किया है। उनका कहना है कि इस तरह के संरक्षणवादी कदम लंबे समय में अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इन समूहों का मानना है कि तात्कालिक संरक्षण प्राप्त करने के बावजूद, यह कदम अर्थव्यवस्था को कमजोर कर सकता है और बढ़ती लागतों को उत्पन्न कर सकता है।

क्या यूरोपीय संघ (EU) पर भी टैरिफ़्स लगाए जाएंगे?

ट्रंप ने पहले कहा था कि वह ब्रिटेन पर टैरिफ़्स नहीं लगाएंगे, लेकिन यूरोपीय संघ (EU) के खिलाफ इस तरह के कदम उठाए जा सकते हैं। ट्रंप ने यूरोपीय संघ पर आरोप लगाया है कि वह अमेरिका के साथ व्यापार में असंतुलन बना रहा है और अमेरिका को उचित व्यापार की पेशकश नहीं कर रहा है, विशेषकर कृषि उत्पादों और कारों के मामले में।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह व्यापार विवाद और भी लंबे समय तक चल सकता है, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और व्यापार प्रवृत्तियों में गंभीर व्यवधान उत्पन्न हो सकता है। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि बातचीत से स्थिति में सुधार हो सकता है, जिससे टैरिफ़्स में कुछ बदलाव हो सकते हैं।

ट्रंप द्वारा घोषित टैरिफ़्स अमेरिका के व्यापार नीतियों में एक महत्वपूर्ण मोड़ का संकेत देते हैं। जबकि इन टैरिफ़्स का उद्देश्य अमेरिकी श्रमिकों और उद्योगों की रक्षा करना है, इनका वैश्विक व्यापार पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। जब तक बातचीत और समझौते नहीं होते, तब तक ये व्यापार संघर्ष और उपभोक्ताओं की कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं। ट्रंप ने इसे लंबी अवधि में लाभकारी कदम बताया है, लेकिन इसके प्रभाव को लेकर अभी कई अनिश्चितताएँ हैं।

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