5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के कुछ उपबंधों और 35(A) को हटाए जाने के 4 साल बाद भी यह मुद्दा बहस का विषय बना हुआ है। सरकार का दावा है कि इस कदम से जम्मू-कश्मीर में विकास और शांति आई है, जबकि विपक्ष इसे “असंवैधानिक” और “अलोकतांत्रिक” बताते हुए इसका विरोध कर रहा है।
हटाने के कारण:
- भारत की एकता और अखंडता को मजबूत करना: सरकार का कहना था कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग रखता था और इसे हटाने से देश की एकता और अखंडता मजबूत होगी।
- आतंकवाद का खात्मा: सरकार का यह भी दावा था कि अनुच्छेद 370 आतंकवाद को बढ़ावा देता था और इसे हटाने से आतंकवादियों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।
- समान अधिकार: सरकार का कहना था कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर के लोगों को समान अधिकारों से वंचित रखता था और इसे हटाने से उन्हें समान अधिकार मिलेंगे।
प्रभाव:
- विकास: सरकार का दावा है कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में विकास हुआ है। पर्यटन, कृषि और उद्योग जैसे क्षेत्रों में वृद्धि देखी गई है।
- शांति: सरकार का यह भी दावा है कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति आई है। हिंसा और आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है।
- विरोध: विपक्ष का कहना है कि अनुच्छेद 370 हटाने से जम्मू-कश्मीर के लोगों में अलगाव की भावना बढ़ी है। वे इसे “असंवैधानिक” और “अलोकतांत्रिक” बताते हैं।
आगे का रास्ता:
यह देखना बाकी है कि अनुच्छेद 370 हटाने का जम्मू-कश्मीर पर दीर्घकालिक प्रभाव क्या होगा। सरकार को विकास और शांति को बनाए रखने के लिए प्रयास करना होगा। साथ ही, जम्मू-कश्मीर के लोगों को भी यह विश्वास दिलाना होगा कि वे भारत का अभिन्न हिस्सा हैं और उन्हें समान अधिकार और अवसर प्राप्त होंगे।
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