KKN गुरुग्राम डेस्क | भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में नवकार महामंत्र दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण संबोधन दिया, जिसमें उन्होंने शांति, सद्भाव और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपने दृष्टिकोण को साझा किया। इस आयोजन में प्रधानमंत्री ने जैन धर्म के महत्वपूर्ण पहलुओं को सम्मानित किया और नवकार महामंत्र को भारत की आध्यात्मिक धरोहर का अहम हिस्सा बताया। मोदी ने कहा कि यह मंत्र न केवल आंतरिक शांति और मानसिक संतुलन का साधन है, बल्कि यह पर्यावरण की रक्षा करने का भी एक बेहतरीन मार्ग है।
नवकार महामंत्र: जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा
नवकार महामंत्र, जिसे नमोक्कार मंत्र भी कहा जाता है, जैन धर्म का सबसे पवित्र और प्रभावशाली मंत्र माना जाता है। इस मंत्र का जाप जैन धर्म के अनुयायी आध्यात्मिक शांति, सामाजिक सद्भाव और सभी जीवों के प्रति प्रेम और सम्मान को बढ़ाने के लिए करते हैं। यह मंत्र आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है और व्यक्ति को आत्म-संयम और अहिंसा के महत्व को समझने में मदद करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दिन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि नवकार महामंत्र भारत की आध्यात्मिक भव्यता की रीढ़ है, और इसे दुनिया भर में फैले हुए जैन अनुयायियों द्वारा न केवल रोज़ाना प्रकट किया जाता है, बल्कि यह पूरे समाज को शांति, प्रेम और सद्भाव का संदेश देता है।
प्रधानमंत्री मोदी का नवकार महामंत्र दिवस पर संबोधन
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर नवकार महामंत्र के महत्व को संपूर्ण विश्व में फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह मंत्र दुनिया में शांति, अहिंसा और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने में मदद करता है। मोदी ने यह भी कहा कि जैन साहित्य और जैन धर्म भारत की आध्यात्मिक भव्यता का एक अहम हिस्सा हैं, जो न केवल भारतीय समाज, बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
प्रधानमंत्री ने जैन धर्म के सिद्धांतों को समाज में शांति और सद्भाव की स्थापना के लिए एक मार्गदर्शन बताया। उन्होंने विशेष रूप से जैन धर्म के सिद्धांतों का उल्लेख किया जैसे अहिंसा (नौ हिंसा), अपरिग्रह (निरंतरता), और सत्य (सच्चाई)। मोदी ने कहा कि इन सिद्धांतों को न केवल व्यक्तिगत जीवन में, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी अपनाया जाना चाहिए, ताकि हम एक स्थायी और शांति से भरे हुए समाज का निर्माण कर सकें।
प्रधानमंत्री मोदी का नंगे पांव आना और सम्मान
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर एक सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में नंगे पांव पहुंचकर जैन धर्म के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान व्यक्त किया। यह विशेष रूप से सादगी और नम्रता का प्रतीक था, जो जैन धर्म के आधारभूत सिद्धांतों से मेल खाता है। इस तरह की सांकेतिक परंपरा ने प्रधानमंत्री मोदी के धार्मिक और सांस्कृतिक समर्पण को और भी मजबूती से दर्शाया।
प्रधानमंत्री के इस कदम ने उन्हें एक सशक्त नेता के रूप में प्रस्तुत किया, जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं। इस भावना ने जैन समुदाय के साथ उनके संबंधों को और भी सशक्त किया।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय का जुड़ाव: नवकार महामंत्र का वैश्विक महत्व
नवकार महामंत्र दिवस पर केवल भारत ही नहीं, बल्कि 108 देशों से लोगों ने इस अवसर पर भाग लिया और नवकार महामंत्र का जाप किया। यह घटना जैन धर्म के वैश्विक प्रभाव को दर्शाती है, जिससे यह साबित होता है कि इस मंत्र का संदेश और इसका महत्व केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे विश्व में फैल चुका है।
दुनिया भर के जैन अनुयायी इस दिन को एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में मनाते हैं और इसकी आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव करते हैं। पीएम मोदी ने इस अवसर पर कहा कि भारत के लोग अपने आध्यात्मिक गुणों और धार्मिक परंपराओं को दुनिया भर में साझा कर रहे हैं, जो भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करता है।
प्रधानमंत्री मोदी और पर्यावरण संरक्षण का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में पर्यावरण संरक्षण के महत्व को भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि जैन धर्म के सिद्धांतों में प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और प्राकृतिक जीवन के साथ संतुलन बनाए रखने की शिक्षा दी जाती है। उन्होंने जैन धर्म के अनुयायियों से आह्वान किया कि वे अपने जीवन में इन सिद्धांतों को अपनाकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में योगदान दें।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत की सतत विकास की दिशा में जैन धर्म के योगदान की भूमिका अहम है, और हमें इसके मूल्य विश्व भर में फैलाने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी बताया कि उनके नेतृत्व में भारत ने पर्यावरण संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं, और भविष्य में भी यह प्राथमिकता बनी रहेगी।
नवकार महामंत्र दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन न केवल भारत की आध्यात्मिक समृद्धि को दर्शाता है, बल्कि यह दुनिया भर में शांति, अहिंसा, और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को उजागर करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दिन के महत्व को रेखांकित करते हुए जैन धर्म के सिद्धांतों को जीवन में अपनाने की बात की, ताकि हम एक स्थिर, शांतिपूर्ण और हरा-भरा संसार बना सकें।
यह आयोजन न केवल धार्मिक उत्सव था, बल्कि एक वैश्विक संदेश भी था कि शांति, सद्भाव और पर्यावरण संरक्षण के प्रति हमारी जिम्मेदारी कितनी महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री मोदी का यह संबोधन यह सुनिश्चित करता है कि भारत न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी वैश्विक नेता के रूप में उभरेगा।
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