नाराजगी से नीतीश का इनकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई कैबिनेट में बिहार के बड़े सहयोगी जदयू के शामिल होने से इनकार करने के बाद, इसके राजनीतिक माएने तलाशे जाने लगें हैं। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बीजेपी ने जो ऑफर हमारे सामने रखा था वह मुझे मंजूर नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि हम एनडीए के साथ पूरी मजबूती से खड़े हैं। जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा कि हम असंतुष्ट नहीं हैं और नाही नाराज हैं। लेकिन हमारे पार्टी से कोई भी मंत्री नहीं बनेगा। इधर, जदयू के प्रवक्ता ने कहा कि सम्मान के साथ पार्टी कोई समझौता नहीं करेगी।
इन कारणो से अलग रही जदयू
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी की माने तो सरकार में शामिल होने के लिए जदयू को भाजपा से आमंत्रण मिला था। किंतु, इसमें सिर्फ एक मंत्री बनाने की बात कही गई थी। दरअसल, यह एक सांकेतिक प्रतिनिधित्व जैसा था। श्री त्यागी ने कहा कि जदयू को सांकेतिक प्रतिनिधित्व मंजूर नहीं है। लिहाजा जदयू ने मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं होने का निर्णय किया है। जेडीयू नेता श्री त्यागी ने कहा कि जदयू एनडीए का हिस्सा बनी रहेगी। उन्होंने किसी प्रकार के नाराजगी से इनकार किया है।
जदयू के स्टैंड के मायने
केन्द्रीय मंत्रीमंडल से किनारा करके जदयू ने बिहार की राजनीति में गरमाहट के संकेत दिएं है। वर्ष 2020 में बिहार विधानसभा का चुनाव होना है। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या जदयू एक बार फिर एनडीए से अलग हो जायेगा? आपको याद ही होगा कि वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने आरजेडी के साथ मिल कर चुनाव लड़ा था। हालांकि, बाद के वर्षो में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरजेडी से किनारा करके एनडीए का हिस्सा बन गई थीं। फिलहाल, जदयू के 16 सांसद है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कभी भी कोई बड़ा निर्णय ले सकतें हैं।
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