विश्वास करना मुश्किल
भारत एक ऐसा देश है, जहां आकर विज्ञान भी विवश हो जाता है। यहां आज भी कई ऐसे अनसुलझे रहस्य हैं, जिनका जवाब आधुनिक विज्ञान के पास भी नहीं हैं। ऐसे ही रहस्यों में कुछ की हम आज चर्चा करेंगे।
भानगढ़ का किला
राजस्थान के अनवर जिले में स्थित भानगढ़ के खौफनाक किले के बारे में शायद आपने सुना हो। भानगढ़ का किले दुनिया के सबसे डरावनी जगहों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि यहां रात में रुकने वाला सुबह तक जिन्दा नहीं रहता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने भी रात में यहां जाने पर पाबन्दी लगा रखी है। पर किसी को यह नही मालुम है कि यह किला इतना भयावह क्यों है?
शापित गांव-कुलधरा
राजस्थान के जैसलमेर जिले के कुलधरा गांव में एक समय सैकड़ो लोग रहते थे। लेकिन, अचानक ही एक रात गांव के लोग गायब हो गए। ताज्जुब की बात ये है कि जाने से पहले गांव के लोग कुछ भी अपने साथ नही ले गये और सब कुछ जैसे का तैसा छोड़कर आखिर वे सभी गांववाले कहां गायब हो गए? यह बात आज तक रहस्य ही है। कहते हैं कि लगभग 170 साल से वीरान पड़े इस गांव में आज भी रहने के लिए कोई तैयार नही है। लोग यहां सोने की तलाश में आते हैं। लोगों का मानना है गांव की सुरंगों में सोना छिपा हुआ है। इस गांव में रात में सैलानियों के जाने पर मनाही है।
रंग महल
उत्तर प्रदेश के वृन्दावन में स्थित रंग महल का मंदिर आज भी कई रहस्य समेटे हुए हैं। माना जाता है कि आज भी निधिवन में रास रचाने के बाद भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा रंग महल में विश्राम करते हैं। मंदिर में रात का अंधेरा होने से पहले माखन मिश्री का प्रसाद रखा जाता है और सोने का एक पलंग लगाया जाता है। रात होते ही मंदिर के दरवाजे अपने आप बंद हो जाते हैं और सुबह बिस्तर पर देखने से ऐसा लगता है जैसे कोई रात में यहां कोई सोया हो। साथ ही रखे गए प्रसाद को भी जैसे किसी ने ग्रहण किया हो। मान्यता है कि रात में मंदिर में रुकने वाले प्राणी की मृत्यु हो जाती है। यह मंदिर आज भी लोगों के बीच एक रहस्य बना हुआ है।
यमद्वार
भारत से सटे तिब्बत में स्थित यमद्वार भी उन्ही रहस्मयी जगहों में से एक है। मान्यता है कि यहां रात में रुकने पर मृत्यु हो जाती है। तिब्बती लोग इसे चोरटेन कांग नग्यी नाम से बुलाते हैं। इसका मतलब है दो पैरों वाला स्तूप। कैलाश पर्वत के रास्ते में पड़ने वाली इस जगह को यमराज के घर का द्वार माना जाता है। इस जगह के निर्माण के बारे में आज तक कोई प्रमाण नहीं मिले हैं।
अश्वत्थामा
पौराणिक मान्यताओ के अनुसार महाभारत काल में अश्वत्थामा ने अपने पिता द्रोणाचार्य की मौत का बदला लेने के लिए अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित पर ब्रह्मास्त्र चलाया था। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने परीक्षित की रक्षा की और अश्वत्थामा को युगों-युगों तक भटकने का श्राप दे दिया। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर शहर के पास एक पहाड़ी पर बने असीरगढ़ किले के आस-पास आज भी अश्वत्थामा को देखने का लोग दावा करते हुए मिल जायेंगे। लोगों का कहना है कि आज तक जिसने भी अश्वत्थामा को देखा है वह बीमार हो गया। कहते हैं कि असीरगढ़ के किले में बने शिव मंदिर में आज भी अश्वत्थामा रोज पूजा करने आते हैं।
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