हाट-बाजार में जुट रही है भीड़

KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार सरकार के सख्ती के बाद भी ग्रामीण इलाका में लॉकडाउन का ठीक से पालन नहीं हो रहा है। गांव के हाट-बाजार पर जुटी भीड़ कई बार सोशल डिस्टेंशिंग की धज्जियां उड़ा रही है। अनजाने में ही सही, पर हमारा ग्रामीण समाज खुद के लिए बड़ी मुसीबत को न्यौता देने लगा है। इस बीच सरकारी योजनाओं को लेकर रह-रह कर फैल रही अफवाह के बीच गांव में कई बार लॉकडाउन बेमानी हो जाता है। ऐसे में समय रहते ग्रामीण इलाको में कड़ाई नहीं हुई तो बिहार के गांवों में हालात विस्फोटक रूप ले सकता है।
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गैस एजेंसी में जुटी हजारो की भीड़
बात 5 अप्रैल की है। मुजफ्फरपुर जिला के मीनापुर गैस एजेंसी में अचानक उमड़ी भीड़ ने लॉकडाउन की धज्जियां उड़ा कर रख दिया। किसी ने अफवाह फैला दिया था कि उज्जवला का लाभ लेने के लिए रजिस्टेशन कराना होगा। नतीजा, भीड़ उमड़ पड़ी और एजेंसी में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। बाद में पुलिस को बुलानी पड़ गई। भीड़ में शामिल पुरैनिया की पार्वती देवी और तालीमपुर की रुपा देवी सहित कई अन्य महिलाओं ने बताया कि आज रजिस्टेशन नहीं हुआ तो योजना का लाभ नहीं मिलेगा। इधर, मीनापुर संजय इंण्डेन के प्रबंधक रोहित कुमार ने बताया कि सभी को सरकारी घोषणा के मुताबिक लाभ मिलना है। स्मरण रहें कि मीनापुर में उज्जवला के करीब 20 हजार उपभोक्ता है। कारण जो हो, पर सच यही है कि एक अफवाह ने पल भर में लॉकडाउन की धज्जियां उड़ा कर रख दिया।
हाट-बजार में सोशल डिस्टेंशिंग नहीं
ग्रामीण हाट बाजारो में सोशल डिस्टेंशिंग का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। लॉकडाउन के बाद भी लोगो की भीड़ कोरोना वायरस का वाहक बनने को उताबली हो रही है। लिहाजा, एक चिंगारी, यदि दावानल का रुप ले ले तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा। मीनापुर का नेउरा बाजार, मुस्तफागंज बाजार, मझौलिया बाजार, बलुआ बजार, टेंगरारी बाजार और तुर्की बाजार सहित कई अन्य बाजारो से अक्सर खतरे को दावत देने वाली तस्वीरे आ रही है। गांव के चाय-पान की दुकान पर भी बेवजह बैठे लोग अनजाने में ही कोरोना वायरस के वाहक बनने को बेताब हो रहें है। गाहे-बेगाहे पुलिस की सख्ती भी दिखाई पड़ती है। थाना अध्यक्ष राज कुमार ने बताया कि गांव के भीतर कई बार पुलिस ने कड़ाई की है। फिर भी लोग खतरे की गंभीरता को समझने को तैयार नही है।
जितने लोग उतनी कहानी
लॉकडाउन को तोड़ने का गांव में सभी के पास अपनी-अपनी दास्तान है। सब्जी उत्पादक किसानो को बाजार पहुंच कर अपना उत्पाद बेचने की विवशता है। मजदूर कहता है कि कमायेंगे नहीं तो खायेंगे कैसे? बहुत सारे लोगो को जरुरी का समान खरीदने के लिए बाजार जाने की विवशता है। कई लोगो को दवा की खरीद करना है। ऐसे भी लोग है, जो जरुरतमंदो की मदद करने के लिए बाहर जाना चाहतें हैं। चाय की दुकान पर बैठे लोगो ने बताया कि दिन भर घर में ही थे। मन बहलाने हेतु थोड़ी देर के लिए चलें आये है। यानी, जितने लोग उतनी बहाना। शायद इन्हें यह नहीं मालुम है कि इनकी एक गलती से पल भर में पूरा का पूरा लॉकडाउन फेल हो सकता है। अमेरिका और इटली ने यही गलती की और आज वहां लाश उठाने वाला नहीं मिल रहा है।
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