KKN न्यूज ब्यूरो
बिहार के मुजफ्फरपुर में होने वाली लीची को लेकर एक राहत भरी खबर आई है। यह खबर मुशहरी के लीची अनुसंधान केन्द्र से आई है। लीची पर लम्बे समय से अनुसंधान कर रहें वैज्ञानिक डॉ. विशाल नाथ ने कहा कि एईएस बीमारी के लिए लीची जिम्मेदार नहीं है। इससे पहले वर्ष 2014 में लेनसेट नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित एक शोध के हवाले से एईएस के लिए लीची में मौजूद एक टॉक्सीन को जिम्मेदार बताया गया था। हालांकि बाद के दिनो में कुछ अन्य शोध में इसका पुरजोर खंडन भी किया जा चुका है। किंतु, इसके बाद से लीची को लेकर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई थीं।
वैज्ञानिक ने लीची को बताया सुरक्षित
बहरहाल, लीची अनुसंधान केन्द्र के शोध वैज्ञानिक ने दो टूक शब्दो में कहा कि लीची से बच्चों की मौत का कोई लेना देना नहीं है। कहा कि लीची पूरी तरह सुरक्षित और बेहतर मौसमी फल है। लीची में भरपूर मात्रा में खनिज, लवण और विटामिन मौजूद है। ऐसा कोई तत्व लीची में मौजूद नहीं है, जिससे एईएस जैसी बीमारी होता हो। लीची अनुसंधान के केन्द्र के वैज्ञानिक ने कहा कि वह पूरे देश में भ्रमण कर लीची को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियों के बारे में लोगों को बता रहे हैं।
अफवाह से हुआ किसानो को नुकसान
लीची अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक ने कहा कि अफवाह का बाजार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। किसान लीची की अच्छी तरीके से देख भाल करें और रकवा को भी बढ़ाये। इस बीच कृषि विज्ञान केन्द्र सरैया की कार्यक्रम समन्वयक डॉ. अनुपमा कुमारी ने लीची को एईएस बीमारी से जोड़ने पर खेद प्रकट करते हुए कहा की हम लगातार किसानों को उनकी लीची बचाने के लिए जागरूक कर रहे है। स्मरण रहें कि इस वर्ष एईएस को लेकर मुजफ्फरपुर के लीची उत्पादक किसानो को बहुत नुकसान हो गया है। खरीदार लीची लेने से इनकार कर दिए और बड़ी संख्या में लीची का फल पेंड़ों पर रह जाने से किसानो को लाखो रुपये का नुकसान हो गया है।
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