KKN गुरुग्राम डेस्क | देवोलीना भट्टाचार्जी, जो स्टार प्लस के शो साथ निभाना साथिया में अपनी भूमिका के लिए जानी जाती हैं, भारतीय टेलीविजन इंडस्ट्री की एक प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं। उनके फैंस की संख्या बहुत बड़ी है, और वह सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय रहती हैं, जहां वह अपनी निजी जिंदगी के बारे में अक्सर अपडेट्स साझा करती रहती हैं। हाल ही में, देवोलीना ने एक बेटे को जन्म दिया, जो उनके जीवन का एक नया और खास अध्याय है। हालांकि, उनकी इंटरफेथ शादी और बेटे के धर्म को लेकर कई सवाल उठे, जिनका उन्होंने बेहद बेहतरीन तरीके से जवाब दिया।
Article Contents
इस आर्टिकल में हम देवोलीना की इंटरफेथ शादी, उनके बेटे के धर्म के बारे में दिए गए उनके विचारों और उनके विचारशील दृष्टिकोण पर चर्चा करेंगे।
देवोलीना भट्टाचार्जी की इंटरफेथ शादी
देवोलीना भट्टाचार्जी और शाहनवाज की शादी 14 दिसंबर 2022 को हुई थी, और इस शादी ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं। इस जोड़े ने कोर्ट मैरिज का रास्ता अपनाया और इसे एक निजी और करीबी समारोह के रूप में मनाया। हालांकि, उनकी शादी को लेकर समाज में कई तरह के सवाल उठे थे, क्योंकि देवोलीना और शाहनवाज के धर्म अलग-अलग थे।
शादी के बाद देवोलीना ने इस बारे में बात करते हुए बताया कि इस शादी के लिए अपने परिवार को तैयार करना आसान नहीं था। दोनों परिवारों को इस रिश्ते की अहमियत और मजबूती समझाने में समय लगा, लेकिन दोनों ने अपने प्यार को हर किसी से ऊपर रखा और एक-दूसरे को स्वीकार किया।
देवोलीना का जवाब बेटे के धर्म को लेकर सवालों पर
देवोलीना के बेटे के धर्म को लेकर जब सवाल उठे, तो अभिनेत्री ने बड़े ही खुले और सटीक तरीके से इसका जवाब दिया। एक पॉडकास्ट में, पारस छाबड़ा से बातचीत करते हुए, पारस ने देवोलीना से पूछा, “अब्दुल या राम, आपका बेटा बड़ा होकर क्या बनेगा?” इस सवाल पर हंसते हुए देवोलीना ने जवाब दिया, “वह इंडियन बनेगा, टोटल इंडियन, भारतीय बनेगा।”
देवोलीना ने इसके आगे कहा, “मुझे लगता है कि हमारे पास एक बहुत ही खूबसूरत कॉन्सेप्ट है। अगर हम यह मानते हैं कि जीवन जीने के लिए धर्म जरूरी है, तो अगर एक बच्चा दोनों धर्मों से अच्छी बातें सीख रहा है, तो वह एक अच्छा इंसान बनेगा। मुझे लगता है कि इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता।”
धर्म और संस्कृति पर देवोलीना का दृष्टिकोण
देवोलीना का मानना है कि धर्म केवल एक पहचान नहीं, बल्कि यह एक जीवनशैली का हिस्सा है। उनका कहना था कि एक बच्चे को दोनों धर्मों से सीखने का अवसर मिलना चाहिए, ताकि वह जीवन में सच्चाई, प्रेम और सहनशीलता के महत्व को समझ सके।
उन्होंने यह भी कहा, “हर किसी को अपनी सोच और विचार का अधिकार होता है। मैं क्यों अपने बच्चे पर अपना धर्म थोपूं या फिर शाह क्यों अपने धर्म को उस पर थोपें? जब वह बड़ा होगा और समझने की अवस्था में पहुंचेगा, तो वह दोनों धर्मों की खूबसूरती को देखेगा और फिर खुद अपना निर्णय ले पाएगा।”
देवोलीना का यह दृष्टिकोण एक बहुत ही खुले और समावेशी विचारधारा को प्रदर्शित करता है, जो आज के समाज में महत्वपूर्ण है। यह दृष्टिकोण बताता है कि धर्म को लेकर बच्चों पर कोई दबाव नहीं डालना चाहिए, बल्कि उन्हें अपनी सोच विकसित करने का मौका देना चाहिए।
धर्म की एकता पर देवोलीना का विचार
देवोलीना ने यह भी साझा किया कि उनके लिए भगवान की एकता में विश्वास है। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि भगवान एक हैं, बस अलग-अलग नाम दिए गए हैं। कुछ लोग उन्हें ‘अल्लाह’ कहते हैं, कुछ लोग ‘राम’ कहते हैं और कुछ लोग ‘जीसस’ कहते हैं। मुझे लगता है कि भगवान के अलग-अलग नाम हैं, लेकिन वह एक ही सर्वोच्च शक्ति हैं।”
इस विचार से देवोलीना ने यह स्पष्ट किया कि उनका धर्म केवल नामों में नहीं बसा, बल्कि वह एक सार्वभौमिक और सशक्त विश्वास में यकीन करती हैं। इस तरह का दृष्टिकोण समाज में एकता और प्रेम को बढ़ावा देने का काम करता है।
मातृत्व का अनुभव और अपने बेटे के लिए देवोलीना की योजनाएं
देवोलीना के जीवन में मातृत्व एक नया अध्याय लेकर आया है। दिसंबर 2024 में उनके बेटे के जन्म के बाद, वह अपनी जीवनशैली में बदलाव महसूस कर रही हैं। हालांकि, उन्होंने अभी तक अपने बेटे का चेहरा सार्वजनिक नहीं किया है, लेकिन वह सोशल मीडिया पर कभी-कभी अपने बेटे की झलकियां साझा करती रहती हैं।
देवोलीना ने इस बातचीत में यह भी बताया कि वह अपने पति शाहनवाज को प्रेमानंद महाराज के वीडियो भेजती हैं, जिनसे उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर बहुत कुछ सीखने को मिलता है। देवोलीना का यह कदम उनके बेटे के लिए एक सकारात्मक माहौल तैयार करने की ओर इशारा करता है, जिसमें वह सही मार्गदर्शन के साथ बड़ा होगा।
समाज में धर्म और सांप्रदायिकता के प्रति बदलाव की आवश्यकता
देवोलीना का उदाहरण यह दर्शाता है कि आज के समाज में धर्म और संस्कृति को लेकर समावेशी दृष्टिकोण जरूरी है। भारतीय समाज में, जहां धार्मिक भेदभाव अभी भी मौजूद है, देवोलीना जैसे लोग एक मिसाल पेश कर रहे हैं कि धर्म कोई दीवार नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मार्ग है जो व्यक्ति की अच्छाई और नेकनीयती को बढ़ावा देता है।
उनकी सोच यह साबित करती है कि धार्मिक विश्वासों के बीच संवाद और समझ की आवश्यकता है, और बच्चों को यह अवसर देना चाहिए कि वे अपनी आत्मा की सच्चाई और अच्छाई को पहचान सकें, न कि उन्हें केवल एक धर्म में सीमित किया जाए।
देवोलीना भट्टाचार्जी ने अपनी निजी जिंदगी और इंटरफेथ विवाह को लेकर जिस तरह से सकारात्मक और विचारशील रुख अपनाया है, वह आज के समय में एक बेहतरीन उदाहरण है। उनके दृष्टिकोण से यह स्पष्ट होता है कि बच्चों को धार्मिक जड़ताओं से मुक्त होकर अपनी सोच और समझ के आधार पर आगे बढ़ने का अवसर मिलना चाहिए।
देवोलीना का यह संदेश समाज को यह सिखाता है कि धर्म केवल एक पहचान नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा रास्ता है जो हमारे भीतर अच्छाई, प्रेम और मानवता की भावना को विकसित करता है। आज के इस समय में, जब धर्म और सांप्रदायिकता अक्सर विवादों का कारण बनते हैं, देवोलीना की सोच एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक कदम है।
Discover more from
Subscribe to get the latest posts sent to your email.