KKN गुरुग्राम डेस्क | म्यांमार में 28 मार्च 2025 को आए 7.7 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप ने पूरे देश में भारी तबाही मचाई है। इस भूकंप में अब तक 2700 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग घायल हो गए हैं। मांडले, नेपीडॉ, सागाइंग, बागो और मैगवे जैसे क्षेत्रों में इमारतें गिर गईं, सड़कों का ढांचा टूट गया और संचार व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई। इस आपदा के बाद बचाव कार्यों में तेजी लाने की जरूरत थी, और भारत ने अपने पड़ोसी देश म्यांमार के लिए तुरंत सहायता भेजने का निर्णय लिया।
भारत ने ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत म्यांमार के लिए सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), और चिकित्सा टीमों को भेजा है। भारतीय वायुसेना और नौसेना के विमानों और जहाजों ने सैकड़ों टन राहत सामग्री यांगून पहुंचाई है, जिसमें खाद्य सामग्री, दवाइयां, टेंट, कंबल और अन्य आवश्यक सामान शामिल हैं। इसके अलावा, भारतीय सेना की शत्रुजीत ब्रिगेड की 118 सदस्यीय चिकित्सा टीम म्यांमार में तैनात की गई है, जो घायलों के इलाज में जुटी हुई है।
म्यांमार में भूकंप के बाद की स्थिति
28 मार्च 2025 को म्यांमार में आए भूकंप ने 7.7 की तीव्रता के साथ कई क्षेत्रों में भारी तबाही मचाई। भूकंप के प्रभाव से मांडले, नेपीडॉ, सागाइंग, बागो और मैगवे जैसे क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। यहां पर भारी जनहानि हुई है और लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए राहत कार्य तेज़ी से चलाए जा रहे हैं, लेकिन बढ़ते समय के साथ साथ बचाव कार्यों में दिक्कतें बढ़ रही हैं।
भारत ने इस संकट के दौरान म्यांमार के साथ अपनी एकजुटता प्रदर्शित की और ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत आवश्यक राहत सामग्री भेजी। भारतीय वायुसेना और नौसेना के विमान लगातार यांगून तक राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं। भारतीय सेना द्वारा भेजी गई मेडिकल टीम भी म्यांमार में तैनात है और घायल लोगों का इलाज कर रही है।
भारत का त्वरित सहयोग: ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’
भारत ने म्यांमार की मदद के लिए ऑपरेशन ब्रह्मा की शुरुआत की है। इस ऑपरेशन के तहत, भारतीय सेना ने 60 बेड का अस्थायी चिकित्सा केंद्र स्थापित किया है, जहां गंभीर रूप से घायल लोगों का इलाज किया जा रहा है। इसके अलावा, एनडीआरएफ की टीमें मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए कंक्रीट कटर, ड्रिल मशीन और अन्य उपकरणों के साथ लगातार काम कर रही हैं।
भारतीय सेना की शत्रुजीत ब्रिगेड ने 118 सदस्यीय एक चिकित्सा टीम म्यांमार भेजी है, जो घायलों के इलाज के लिए दिन-रात काम कर रही है। साथ ही, भारतीय दूतावास ने इस राहत कार्य में म्यांमार के अधिकारियों के साथ मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
राहत सामग्री की आपूर्ति
भारत ने म्यांमार के लिए कई टन राहत सामग्री भेजी है, जिसमें खाद्य सामग्री, दवाइयां, टेंट, कंबल और अन्य आवश्यक सामान शामिल हैं। भारतीय नौसेना का जहाज INS घड़ियाल, 440 टन राहत सामग्री के साथ विशाखापत्तनम बंदरगाह से म्यांमार के लिए रवाना हो चुका है। राहत सामग्री को प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचाने के लिए भारतीय सेना और म्यांमार के स्थानीय प्रशासन मिलकर काम कर रहे हैं।
म्यांमार में जारी राहत कार्य
एनडीआरएफ और भारतीय सेना की टीमें म्यांमार में राहत कार्यों में सक्रिय रूप से लगी हुई हैं। मांडले शहर में अब तक 16 शव बरामद किए जा चुके हैं, और बचाव अभियान जारी है। एनडीआरएफ के अधिकारी मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए लगातार खोज और बचाव अभियान चला रहे हैं। इसके अलावा, भारतीय चिकित्सा टीमें घायलों को प्राथमिक उपचार देने के साथ-साथ आपातकालीन सर्जरी भी कर रही हैं।
पीएम मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर का म्यांमार को समर्थन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार के सैन्य प्रमुख जनरल मिन आंग ह्लाइंग से फोन पर बात की और इस संकट में म्यांमार को हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी म्यांमार के प्रति भारत की एकजुटता व्यक्त करते हुए कहा कि “पड़ोसी पहले और एक्ट ईस्ट नीति के तहत भारत म्यांमार के साथ खड़ा है।” भारत ने हमेशा अपने पड़ोसी देशों के साथ मजबूत रिश्तों को प्राथमिकता दी है, और इस समय यह सहायता एक उदाहरण प्रस्तुत कर रही है।
म्यांमार में बढ़ती चुनौतियाँ
हालांकि भारत द्वारा भेजी जा रही राहत सामग्री और मेडिकल टीमें म्यांमार की मदद कर रही हैं, फिर भी कई चुनौतियाँ सामने आ रही हैं। यांगून-मांडले हाईवे के क्षतिग्रस्त होने से राहत सामग्री को दूरदराज के इलाकों में पहुंचाना मुश्किल हो गया है। इसके अलावा, भूकंप से बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान और संचार नेटवर्क के ठप हो जाने से बचाव कार्यों में भी रुकावट आ रही है। म्यांमार की स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन काउंसिल के अनुसार, अब तक 2,376 लोग घायल हो चुके हैं और 30 लोग लापता हैं।
अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक मृतकों की संख्या 10,000 तक जा सकती है, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है। म्यांमार के स्थानीय संगठन और धार्मिक समूह भी राहत कार्यों में जुटे हैं, लेकिन संसाधनों की कमी और बुनियादी ढांचे की तबाही के कारण उनके प्रयास सीमित हो रहे हैं।
भारत और म्यांमार के रिश्ते
इस आपदा ने एक बार फिर भारत और म्यांमार के बीच गहरे रिश्तों को उजागर किया है। भारत की त्वरित प्रतिक्रिया और मानवीय सहायता ने न केवल म्यांमार के लोगों को उम्मीद दी है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी इसकी सराहना हो रही है। न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों ने भारत के इस प्रयास को प्रमुखता से प्रकाशित किया है और इसे “प्रथम मददकर्ता” के रूप में सराहा है।
म्यांमार में आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई है, और भारत ने अपनी “पड़ोसी पहले” नीति के तहत त्वरित रूप से सहायता प्रदान की है। ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत भारतीय सेना और NDRF की टीमों ने म्यांमार में राहत कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि राहत कार्यों के दौरान कई चुनौतियाँ सामने आई हैं, भारत की सहायता और एकजुटता ने म्यांमार के लोगों को संबल प्रदान किया है। अब यह समय है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय मिलकर म्यांमार की मदद करे ताकि वहां के लोग इस संकट से उबर सकें।
भारत ने अपनी मानवीय जिम्मेदारी निभाते हुए म्यांमार के साथ खड़ा होकर अंतरराष्ट्रीय सहयोग का आदर्श प्रस्तुत किया है, और यह कार्रवाई दोनों देशों के बीच रिश्तों को और भी मजबूत बनाएगी।