बात 5 दिसंबर 1994 की है। हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में यूक्रेन का भविष्य तय होने वाला था। रूस अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया की कई शक्तिशाली देशो के प्रतिनिधि वहां पहले से मौजूद थे। तय हुआ कि यूक्रेन अपने परमाणु हथियार का बड़ा जखिरा नष्ट कर दे या रूस को दे दे। इसको बुडापेस्ट मेमोरंडम ऑन सिक्योरिटी अश्योरेंस का नाम दिया गया। यूक्रेन ने रूस और अमेरिका समेत दुनिया की बातो को मान लिया और करीब तीन हजार परमाणु बम रूस को लौटा दिया और बाकी नष्ट करके बड़ी गलती कर दी। पश्चिम पर भरोसा करने वाला वहीं यूक्रेन आज युद्ध की तबाही झेल रहा है। दरअसल, यह अन्तर्राष्ट्रीय समझौते का एक स्याह सच है और इसको समझना आज जरुरी हो गया है।
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