Site icon

राजनीति में दल-बदल अवसरवाद नहीं तो और क्या?

राजनीति में दल-बदल अवसरवाद नहीं तो और क्या?
Featured Video Play Icon

कहतें हैं कि राजनीति में कोई किसी का स्थायी दोस्त नहीं होता और नाही कोई किसी का स्थायी दुश्मन होता है…। यानी, अपनी सुविधा के अनुसार किसी से कभी भी हाथ मिलाया जा सकता है। नेताओं ने इसे राजनीति का मूल मंत्र बना दिया है। ‘’खबरो की खबर’’ के इस सेगमेंट में राजनीति के इस सर्वमान्य जुमला की पड़ताल करेंगे। दरअसल, राजनीति एक विचारधारा है और विचारधारा बदलने की चीज़  नहीं होती है। यानी जिसका अपना कोई विचारधारा नहीं हो… उसको राजनीति में नहीं आना चाहिए। विचारधारा को सुविधा के मुताबिक बदलने वाला, वास्तव में अवसरवादी होता है। ऐसे लोग स्वयं अवसर का लाभ उठाते है और अखिरकार इसका खामियाजा समाज को भुगतना पड़ता है।

 

 

 

KKN लाइव WhatsApp पर भी उपलब्ध है, खबरों की खबर के लिए यहां क्लिक करके आप हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हैं।

Exit mobile version