भारत के आजादी के ऐन मौके पर देशी रजवाड़ा के भारत में विलय को लेकर कई मुश्किलें खड़ी हो रही थीं। पंडित जवाहर लाल नेहरू आजाद भारत में राजशाही को मुकम्मल तौर पर खत्म करना चाहते थे। इससे चिढ़ कर कई देशी रजवाड़ा भारत में विलय से इनकार करने लगा और खुद को एक आजाद मुल्क होने का दंभ भरने लगा। ऐन मौके पर वायसराय का एक आदेश, आग में घी का काम कर गया। दरअसल हुआ ये कि वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने राजे रजवाड़ो को अपनी स्वेच्छा से भारत या पाकिस्तान में विलय करने या आजाद रहने का आधिकार दे दिया था। यह एक ऐसा अधिकार था, जिससे आजाद भारत के सैकड़ो टूकड़ो में बंटने का रास्ता खुल गया। फिर क्या हुआ। देखिए, इस रिपोर्ट में…
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