वर्ष का कैलेंडर बदलते ही अक्सर लोग नये साल का बड़े उल्लास से स्वागत करते हैं। एक दूसरे को शुभकामनाएं देतें हैं और ढेर सारी शुभकामनाएं लेतें भी हैं। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि हमें जितनी भी शुभकामनाएं मिलती हैं, उनमें से कितनों को अपने जीवन में सच करके दिखाया है? दरअसल, सपने स्वयं सच नहीं होते, उन्हें सच करना पड़ता है। दुनिया की बड़ी आबादी के लिए एक जनवरी ही नया वर्ष होता है। ऐसे में यदि सचमुच नये साल को सार्थक करना है, तो जरूरी है कि कुछ तो ऐसा नया शुरूआत करें कि पूरा साल अपने पिछले साल की तुलना में नया बनकर हमारे जीवन में कुछ नया जोड़े दे।
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