वामपंथ और दक्षिणपंथ के बीच कराहता राष्ट्रवाद

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भारत में राजनीति का इतिहास बहुत ही गहरा रहा है। बावजूद इसके एक गहरे साजिश के तहत हर दौर में हमारे हुक्मरानो ने हमारे अन्दर राष्ट्रवाद को पनपने ही नही दिया। कहतें है कि विचारधारा चाहें वामपंथ की हो दक्षिणपंथ की। दरअसल, इनका जन्म हिंदुस्तान में हुआ ही नहीं। यह दोनो विचारधारा यूरोपीय देशों की आतंरिक राजनीतिक संघर्षों की उपज है

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