दुनिया में इन दिनो किताबें पढ़ने की प्रवृत्ति कम हुई है। पर, भारत में यह प्रवृत्ति अब खतरनाक रूप लेने लगा है। दुनिया को ज्ञान की शिक्षा देने वाला भारत के अधिकांश लोग अब सुनी सुनाई बातो पर यकीन करने लगे है। नतीजा, गलत सूचनाओं ने अपनी मजबूत जगह बना ली है और बड़ी संख्या में लोग गुमराह हो रहें है। ताज्जुब की बात ये है कि हम भारतवंशी जिनको अपना आदर्श मानते है। पूजा करते है। उनकी लिखी पुस्तको को भी नहीं पढ़ते है और सुनी सुनाई बातो पर आसानी से यकीन कर लेते है। मिशाल के तौर पर बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेदकर को ही ले लीजिए। एक कड़बी हकीकत है कि बाबा साहेब को समग्रता में समझने वालो की कमी हो गई है। देखिए, इस रिपोर्ट में…
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