वर्ल्ड कैंसर डे 2025: भारत में विभिन्न आयु वर्ग पर कैंसर का प्रभाव और समय पर जांच का महत्व

World Cancer Day 2025: Understanding Cancer’s Impact Across Age Groups in India & The Importance of Early Detection

KKN गुरुग्राम डेस्क | वर्ल्ड कैंसर डे 2025, जो हर साल 4 फरवरी को मनाया जाता है, का उद्देश्य कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाना, शुरुआती पहचान को प्रोत्साहित करना और रोकथाम के उपायों को बढ़ावा देना है। भारत में कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे यह समझना जरूरी हो जाता है कि कौन-कौन से आयु वर्ग इससे सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं और समय पर जांच क्यों जरूरी है

इस वर्ल्ड कैंसर डे पर, प्रमुख ऑन्कोलॉजिस्ट और स्वास्थ्य विशेषज्ञ भारत में कैंसर के बढ़ते खतरे, जोखिम कारकों और कैंसर मृत्यु दर को कम करने में नियमित जांच के महत्व पर चर्चा कर रहे हैं।

भारत में कैंसर: एक गंभीर स्वास्थ्य संकट

कैंसर भारत में मृत्यु दर के प्रमुख कारणों में से एक बन चुका है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक कैंसर के मामलों में भारी वृद्धि होने की संभावना है। इसकी प्रमुख वजहें हैं:

🔹 तंबाकू और शराब का बढ़ता सेवन
🔹 वातावरण में बढ़ता प्रदूषण
🔹 अस्वस्थ जीवनशैली
🔹 कैंसर की देर से पहचान और इलाज में देरी

🚨 महत्वपूर्ण आंकड़े:
✔ 2024 में भारत में 1.39 मिलियन नए कैंसर मामलों की पुष्टि हुई।
✔ स्तन कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर और ओरल कैंसर सबसे आम प्रकार हैं।
✔ 90% से अधिक मामलों में कैंसर का देर से पता चलना मृत्यु दर बढ़ाने का मुख्य कारण है।

समय पर जांच और कैंसर रोकथाम के उपायों को अपनाकर इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है।

कैंसर विभिन्न आयु समूहों को कैसे प्रभावित करता है?

कैंसर हर उम्र के लोगों को प्रभावित करता है, लेकिन इसकी जोखिम कारक, प्रकार और उपचार के प्रभाव अलग-अलग हो सकते हैं

1️⃣ बचपन का कैंसर (0-14 वर्ष)

हालांकि बचपन में कैंसर के मामले दुर्लभ होते हैं, लेकिन यह एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता बनी हुई है। बच्चों में पाए जाने वाले प्रमुख कैंसर प्रकार:

🔹 ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर) – सबसे आम प्रकार।
🔹 ब्रेन ट्यूमर – मानसिक और मोटर स्किल्स को प्रभावित करता है।
🔹 लिंफोमा – प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है।

📢 विशेषज्ञ की राय:
“बचपन के कैंसर का जल्दी पता चलने पर इलाज की संभावना 80% तक बढ़ जाती है। माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अगर उनके बच्चे को लंबे समय तक बुखार, वजन में कमी, या शरीर पर असामान्य सूजन हो, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें,” कहते हैं डॉ. राजेश कुमार, पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजिस्ट।

2️⃣ युवा वयस्कों में कैंसर (15-39 वर्ष)

इस उम्र में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन अक्सर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है। इस आयु वर्ग में पाए जाने वाले सामान्य कैंसर हैं:

🔹 स्तन कैंसर – 20-30 वर्ष की महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा है।
🔹 वृषण कैंसर (Testicular Cancer) – 20-34 वर्ष के पुरुषों में आम।
🔹 हॉजकिन्स लिंफोमा (Hodgkin’s Lymphoma) – प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है।

📢 रोकथाम के उपाय:
✔ स्तन और वृषण कैंसर के लिए नियमित स्व-परीक्षण (Self-Examination)।
✔ HPV वैक्सीन से ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर की संभावना कम होती है।
✔ धूम्रपान छोड़ना और शराब का सेवन सीमित करना।

“कई युवा कैंसर के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं। असामान्य सूजन, लगातार खांसी, या लंबे समय तक दर्द होने पर डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है,” कहते हैं डॉ. मीना शर्मा, ऑन्कोलॉजिस्ट

3️⃣ मध्यम आयु वर्ग (40-60 वर्ष) में कैंसर

यह उम्र कई प्रकार के कैंसर के लिए उच्च जोखिम वाली होती है, खासकर अनुवांशिक प्रवृत्ति और जीवनशैली संबंधी आदतों के कारण

🚨 सबसे अधिक पाए जाने वाले कैंसर:
🔹 स्तन कैंसर – भारतीय महिलाओं में सबसे आम।
🔹 फेफड़ों का कैंसर – मुख्य रूप से धूम्रपान और प्रदूषण के कारण।
🔹 कोलोरेक्टल कैंसर – खराब आहार और व्यायाम की कमी से जुड़ा।

📢 नियमित जांच का महत्व:
✔ 40 वर्ष की उम्र से नियमित मैमोग्राम करवाना।
✔ 45 से अधिक उम्र के धूम्रपान करने वालों के लिए सालाना फेफड़ों की जांच।
✔ 50 की उम्र के बाद कोलोनोस्कोपी (Colon Cancer Screening)।

“अगर कैंसर को शुरुआती चरण में पहचाना जाए, तो मृत्यु दर में 40% तक की कमी लाई जा सकती है,” कहते हैं डॉ. प्रिया मल्होत्रा, वरिष्ठ ऑन्कोलॉजिस्ट

4️⃣ वरिष्ठ नागरिकों (60+ वर्ष) में कैंसर

उम्र बढ़ने के साथ कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है, मुख्यतः कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली और लंबे समय तक कैंसर कारकों के संपर्क में रहने के कारण

🔹 प्रोस्टेट कैंसर – 60 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में आम।
🔹 फेफड़ों का कैंसर – आमतौर पर उन्नत चरण में निदान होता है।
🔹 पेट और अग्नाशय (पैंक्रियाटिक) कैंसर – वरिष्ठ नागरिकों में आक्रामक कैंसर।

📢 रोकथाम और जल्दी पहचान के उपाय:
✔ प्रोस्टेट कैंसर के लिए नियमित PSA परीक्षण।
✔ फेफड़ों के कैंसर के उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए CT स्कैन।
✔ समय-समय पर पूरी स्वास्थ्य जांच कराना।

“उम्र बढ़ने के साथ कैंसर का खतरा तो बढ़ता है, लेकिन स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और धूम्रपान से बचाव से इसे काफी हद तक रोका जा सकता है,” कहते हैं डॉ. रमेश गुप्ता, जेरियाट्रिक ऑन्कोलॉजिस्ट

📌 मुख्य बातें:
✔ हर उम्र में कैंसर का खतरा अलग-अलग होता है, लेकिन समय पर जांच से इसे रोका जा सकता है।
✔ नियमित जांच और शुरुआती पहचान से इलाज की संभावना 90% तक बढ़ सकती है।
✔ स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर कैंसर के खतरे को 50% तक कम किया जा सकता है।

इस वर्ल्ड कैंसर डे 2025 पर, हम सभी को जागरूकता बढ़ाने, नियमित जांच करवाने और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का संकल्प लेना चाहिए

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