- कोरोनाकाल की चौकाने वाली हकीकत
KKN न्यूज ब्यूरो। …जवान बेटे के मौत का गम तो झेल जाते। पर, अपने ही लोगो के द्वारा तिरस्कृत होने का गम असहनीय हो रहा है। दर्द भरा ये अल्फाज है कम्यूनिस्ट नेता और पूर्व मुखिया जगदीश गुप्ता की। जगदीश गुप्ता बतातें है कि जिस समाज की सेवा करते हुए पूरा जीवन बीता। आज उसी समाज ने ठुकरा दिया। कोरोनाकाल की यह दर्दभरी हकीकत है, जो समाज को नए सिरे से परिभाषित करने लगा है। बिहार के सिवाईपट्टी थाना के एक गांव से निकल कर आई हकीकत चौकाने वाली है।
दरअसल, जगदीश गुप्ता के जवान पुत्र की इलाज के दौरान शहर के एक निजी अस्पताल में 29 जुलाई को मौत हो गई थीं। अगले रोज 30 जुलाई को गांव में उसका रीतिरिवाज के साथ दाह संस्कार हुआ और इसमें गांव के कई लोग शामिल हुए। एक रोज बाद यानी 31 जुलाई को मृतक का रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गया। इसके बाद गांव में हड़कंप मच गया। बड़ी संख्या में लोग डर गए और खुद को क्वारंटाइन करने लगे। स्वास्थ्य विभाग ने 1 अगस्त को रैपीट एंटीजन कीट की मदद से 47 लोगो की जांच की। इसमें भी एक कोरोना पॉजिटिव पाया गया। बावजूद इसके गांव में दहशत कम नहीं हुआ।
जगदीश गुप्ता ने 6 अगस्त की देर रात फोन करके जो बताया, वह मानवीय मूल्यो पर सवाल खड़ा कर देता है। बताया कि गांव के लोगो ने उनके पूरे परिवार का बहिष्कार कर दिया है। हाट-बजार जाने पर रोक है। हॉकर ने अखबार देना बंद कर दिया। वे अपने पूरे परिवार के साथ पिछले आठ रोज से अपने ही घर में आइसोलेट हो चुकें है। कहतें हैं कि घर में जरुरी समानो की जबरदस्त किल्लत है। जिस बेटे की मौत हो गई थीं, उसका क्रियाकर्म करना भी मुश्किल हो रहा है। कोई भी मदद करने को तैयार नहीं है। प्रशासन ने मुंहफेर लिया है। पार्टी के नेताओं ने मुंहफेर लिया है और संगे-संबंधियों ने भी मुंहफेर लिया है। ऐसे में करें भी तो क्या करें…?
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