खुदरा महंगाई में राहत, खाने-पीने की चीजों के दाम घटे; जनवरी में महंगाई दर 4.31%

Retail Inflation Relieves, Food Prices Decline; January Inflation Rate at 4.31%

KKN  गुरुग्राम डेस्क | भारत में जनवरी 2025 में खुदरा महंगाई में राहत देखने को मिली है। Consumer Price Index (CPI) के मुताबिक, जनवरी में महंगाई दर 4.31% रही, जो पिछले पांच महीने में सबसे कम है। दिसंबर 2024 में यह दर 5.22% थी। खाने-पीने की चीजों के दाम में आई गिरावट ने इस गिरावट को मुख्य रूप से प्रेरित किया है।

यह गिरावट उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपनी रोजमर्रा की खरीदारी में बढ़ती कीमतों से जूझ रहे थे। खासकर, खाद्य पदार्थों के दाम घटने से आम उपभोक्ताओं को राहत मिली है, जिससे उनके खर्चों पर सीधा असर पड़ा है।

महंगाई दर में गिरावट के कारण

महंगाई दर में कमी आने के कई कारण हैं, जिनमें प्रमुख है खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट। 2024 के आखिरी महीनों में बढ़ी हुई कीमतों के बाद जनवरी में यह गिरावट एक अच्छा संकेत है।

  1. खाद्य कीमतों में गिरावट: जनवरी में सब्जियों, दालों और खाद्य तेलों के दामों में गिरावट आई। इन वस्तुओं का भारतीय परिवारों पर महत्वपूर्ण असर पड़ता है, क्योंकि ये उनके दैनिक खर्च का बड़ा हिस्सा हैं।

  2. मौसम का प्रभाव: मौसम परिवर्तन के कारण कई फसलें बाजार में उपलब्ध होने लगीं, जिससे सब्जियों और फलों के दाम में कमी आई। उदाहरण के तौर पर, आलू, टमाटर और प्याज की कीमतों में गिरावट ने उपभोक्ताओं को राहत दी है।

  3. सरकारी उपाय: सरकार ने खाद्य आपूर्ति की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। आपूर्ति श्रृंखलाओं में सुधार और आवश्यक खाद्य वस्तुओं की आयात नीति में लचीलापन ने कीमतों को नियंत्रित करने में मदद की है।

  4. वैश्विक वस्तु मूल्य: अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता ने घरेलू बाजार में कीमतों को नियंत्रित रखने में मदद की है।

कोर महंगाई में कमी

खाद्य वस्तुओं के दामों में कमी के साथ-साथ कोर महंगाई (जिसमें खाद्य और ईंधन शामिल नहीं हैं) में भी थोड़ी कमी देखने को मिली है। कोर महंगाई में गिरावट यह संकेत देती है कि अन्य वस्तुओं और सेवाओं में भी कीमतों का दबाव कम हो रहा है।

कोर महंगाई एक महत्वपूर्ण संकेतक है, क्योंकि यह दिखाता है कि व्यापक अर्थव्यवस्था में कीमतों पर किस प्रकार का दबाव है। अगर कोर महंगाई भी नियंत्रित रहती है, तो यह सामान्य आर्थिक स्थिति के लिए शुभ संकेत है।

खाद्य कीमतों में गिरावट और उपभोक्ताओं पर असर

खाद्य कीमतों में आई गिरावट का सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ा है। विशेष रूप से निम्न और मध्यवर्गीय परिवारों के लिए यह राहत की बात है, क्योंकि वे अपनी कम आय में अपनी रोजमर्रा की जरूरतों का ध्यान रखते हैं।

सब्जियों, दालों और खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट से घरेलू बजट पर दबाव कम हुआ है। भारत में इन चीजों का बहुत बड़ा हिस्सा उपभोक्ताओं की खर्चों में जाता है। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी के बाद, उपभोक्ताओं को सस्ता और सुलभ सामान मिल पा रहा है।

इसके अलावा, खुदरा महंगाई में कमी आने से लोगों का खर्च घटा है, जिससे उनकी खर्चीली आदतों में सुधार हो सकता है। इस गिरावट से व्यक्तिगत वित्त और उपभोक्ता खर्च की दिशा में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकता है।

सरकार की भूमिका और उपाय

भारत सरकार ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय किए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख उपायों में खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुधरना, आयात नीति में बदलाव और सीधे नकद हस्तांतरण (DBT) जैसी योजनाएं शामिल हैं।

  1. आपूर्ति श्रृंखला सुधार: सरकार ने आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में सुधार करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। आपूर्ति श्रृंखलाओं में सुधार से वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता आई है।

  2. आयात नीति: सरकार ने जरूरत के समय खाद्य वस्तुओं के आयात को बढ़ावा दिया है, जिससे घरेलू बाजार में चीजों की कमी नहीं हुई और महंगाई पर नियंत्रण पाया जा सका।

  3. सस्ते दरों पर सब्सिडी और DBT: सरकार ने खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर सब्सिडी देने के साथ-साथ डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) योजनाओं के तहत गरीब परिवारों को राहत देने के लिए नकद हस्तांतरण भी किए हैं। इससे गरीबों को कम दाम पर खाद्य वस्तुएं प्राप्त करने में मदद मिल रही है।

  4. मुद्रास्फीति नियंत्रण के लिए RBI की नीतियां: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने महंगाई को नियंत्रित रखने के लिए अपनी मौद्रिक नीतियों में बदलाव किए हैं। उन्होंने ब्याज दरों में बदलाव करके महंगाई पर काबू पाने की कोशिश की है।

आने वाले महीनों में महंगाई की दिशा

जनवरी में महंगाई दर में आई गिरावट ने उपभोक्ताओं को राहत दी है, लेकिन आने वाले महीनों में महंगाई की दिशा पर कुछ अनिश्चितताएं बनी हुई हैं।

खाद्य वस्तुओं की कीमतें विशेष रूप से इस मामले में महत्वपूर्ण रहेंगी। गर्मी के महीनों में कुछ फसलों की आपूर्ति में कमी हो सकती है, जिससे खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ सकते हैं।

वैश्विक कीमतों में उतार-चढ़ाव भी घरेलू महंगाई पर असर डाल सकते हैं। विशेष रूप से तेल और गैस की कीमतें वैश्विक बाजार में बढ़ने से घरेलू कीमतों में इजाफा हो सकता है।

हालांकि, सरकारी उपायों और आरबीआई की नीतियों के कारण महंगाई पर काबू पाना संभव है। लेकिन अगर खाद्य वस्तुओं की कीमतों में फिर से वृद्धि होती है, तो महंगाई फिर से बढ़ सकती है।

प्रमुख आर्थिक संकेतक जो आने वाले महीनों में महंगाई की दिशा तय करेंगे

  1. खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव: खाद्य वस्तुओं की कीमतें महंगाई के मुख्य कारण हैं। इनकी कीमतों का स्तर महंगाई दर में प्रमुख बदलाव लाता है।

  2. वैश्विक वस्तु मूल्य: तेल और गैस की कीमतें वैश्विक स्तर पर बढ़ने से घरेलू कीमतों पर असर पड़ सकता है।

  3. सरकारी नीतियां: सरकारी योजनाएं जैसे DBT और खाद्य आपूर्ति के सुधार से महंगाई पर काबू पाया जा सकता है।

  4. आरबीआई की मौद्रिक नीतियां: रिजर्व बैंक की नीतियां महंगाई की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाती हैं। ब्याज दरों में बदलाव महंगाई को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है।

भारत में जनवरी 2025 में खुदरा महंगाई दर में महत्वपूर्ण गिरावट आई, जो 4.31% रही। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई गिरावट ने इस सुधार में मुख्य भूमिका निभाई। सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उठाए गए कदमों के कारण महंगाई पर काबू पाया गया है, लेकिन आने वाले महीनों में खाद्य कीमतों और वैश्विक वस्तु मूल्य के उतार-चढ़ाव से महंगाई पर असर पड़ सकता है।

फिलहाल, सरकार और आरबीआई की नीतियों के चलते यह उम्मीद की जा रही है कि महंगाई में स्थिरता रहेगी और उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।

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