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बिहार में मानव श्रृंखला की हकीकत और फंसाना

बिहार। बिहार के लोगो ने रविवार को एक और मानव श्रृंखला देखा। आज से ठीक एक वर्ष पहले बिहार ने शराब बंदी को लेकर मानव श्रृंखला बना कर विश्व कीर्तिमान बनाया था। बहरहाल, बाल विवाह और दहेज के खिलाफ रविवार को राज्यव्यापी मानव श्रृंखला तो बनी। किंतु, यह कितना सफल हुआ? इस बात को लेकर पक्ष और विपक्ष के बीच ठन गई है।

सरकारी रिपोर्ट की रिपोर्ट की माने तो बिहार एक बार फिर से नए कीर्तिमान बनाने की ओर अग्रसर है। रिपोर्ट बताता है कि यह मानव श्रृंखला, नेशनल हाइवे, स्टेट हाइवे, जिला, प्रखंड, पंचायत, गांवों की विभिन्न सड़कों और पगडंडियों से होकर गुजरी और तकरीबन 4.5 करोड़ लोगों ने हिस्सा लिया। वही, मुख्य विपक्षी राजद ने इसे सरकारी नौटंकी बता कर आज के मानव श्रृंखला को खारिज कर दिया है। विपक्ष का मानना है कि लोगो ने मानव श्रृंखला का बहिष्कार करके सरकार के जन बिरोधी नीतियों के प्रति अपने आक्रोश का इजहार कर दिया है।
खबरो के मुताबिक मानव श्रृंखला का मुख्‍य केंद्र पटना का गांधी मैदान रहा। यहां स्वयं सीएम नीतीश कुमार के साथ डिप्‍टी सीएम सुशील मोदी तथा अन्‍य मंत्री कतार में खड़े हुए और यहां 50-50 गुव्वारों के 100 गुच्छों को आसमान में उड़ाकर इसकी शुरुआत की।। सरकारी रिपोर्ट की माने तो खगड़िया में सुबह 10 बजे से ही एनएच 31 पर बड़े वाहनों का परिचालन बंद हो गया था। नतीजा, भागलपुर-खगड़िया सीमा पर वाहनों की लंबी कतारें लग गई। बताया जा रहा है कि मानव श्रृंखला में शामिल होने के लिए मधुबनी में सड़कों पर बैंड पार्टी निकल पड़ी।
इसी प्रकार नवादा में मानव श्रृंखला में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, प्रभारी मंत्री श्रवण कुमार, एमएलसी सलमान रागीव, डीएम आदि शामिल हुए। भारत नेपाल सोनबरसा बॉर्डर पर भी मानव शृंखला बनाई गई। इसमें जवानों और लोगों ने मिलकर हिस्सा लिया। दरभंगा, मधुबनी, बेतिया, पूर्वी चंपारण, गया, जहानावाद, अररिया, पूर्णिया, किसनगंज, सीतामढ़ी, शिवहर आदि जिलों में मानव श्रृंखला में लोगो के शामिल होने की सूचना है। इसके अतिरिक्त बिहार के तकरीबन सभी जिलो से भी मानव श्रृंखला की लगातार खबरे आ रही।

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