अब गायो का भी बनेगा ” आधार कार्ड “

​संतोष कुमार गुप्ता

नई दिल्ली। गौ हत्या रोकने को लेकर देश मे खूब राजनितिक हो रही है। देश मे नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से ही गौ हत्या पर पाबंदी की मांग तेजी से उठ रही है। किंतु विस चुनाव मे यूपी सहित अन्य राज्यो मे आपार सफलता के बाद इस दिशा मे कारवाई भी शुरू हो गयी है। यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी ने तो बूचड़खाना बंद करने के आदेश भी दे दिये है। वही देशभर में इन दिनों गौ हत्या को लेकर बवाल मचा हुआ है । गौ रक्षक किसी भी हाल में गाय की सुरक्षा निश्चित करना चाहते हैं। भारत-बांग्लादेश सीमा पर गायों की तस्करी का मसला काफी पुराना है। ऐसे में केंद्र सरकार गाय गाय संरक्षण और पशुओं की तस्करी को रोकने में प्रयासरत है। इसी के तहत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट सौंपी है। केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि संयुक्त सचिव, गृह मंत्रालय की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया। समिति ने इस मसले पर कुछ सिफारिशें की हैं, इन सिफारिशों में गाय के लिए आधार कार्ड की तर्ज पर अद्वितीय पहचान संख्या (UID) की भी मांग की गई है।
केंद्र ने ये रखीं मांगें

– भारत में प्रत्येक गाय और उसकी संतान की एक अद्वितीय पहचान संख्या (UID) होनी चाहिए ताकि उनको ट्रैक किया जा सके।

-यूआईडी नंबर में उम्र, नस्ल, लिंग, स्तनपान, ऊंचाई, शरीर, रंग, सींग प्रकार, पूंछ स्विच और जानवरों के विशेष अंकों का विवरण होना चाहिए।

-गाय और इसकी संतान के लिए यूआईडी देशभर में अनिवार्य होनी चाहिए।

-परित्यक्त पशुओं की सुरक्षा और देखभाल की जिम्मेदारी मुख्य रूप से राज्य सरकार की है।

-हर जिले में कम से कम 500 जानवरों की के लिए शेल्टर होम होना चाहिए इससे परित्यक्त पशुओं की तस्करी को कम करने में मदद मिलेगी।

-दुग्ध देने की उम्र तक पशुओं की विशेष देखभाल की जानी चाहिए।

-संकट में किसानों के लिए योजना शुरू की जानी चाहिए, ताकि वे दुग्ध की उम्र से परे पशुओं को न बेच सकें।

-शेल्टर होम का वित्तपोषण राज्य सरकार द्वारा किया जाना चाहिए. मौजूदा आश्रय घरों में सुविधा और मानव संसाधनों की कमी है।

-बांग्लादेश में पशुओं की तस्करी को रोकने के लिए जनता से सक्रिय समर्थन और सहयोग की मांग की जानी चाहिए। लोगों को टोल फ्री हेल्पलाइन नंबरों के माध्यम से सड़कों पर पशुओं की गतिविधियों से संबंधित जानकारी देने के लिए कहा जाना चाहिए।
मुंह मांगी कीमत मिलती है गाय की

गोमांस की सबसे बड़ी मांग वाला देश बांग्लादेश है। बांग्लादेश में भारतीय गायों की मुंह मांगी कीमत मिलती है। बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी बीएसएफ के मुताबिक भारत से हर साल करीब साढ़े तीन लाख गायों को चोरी छिपे बांग्लादेश सीमा पार करवाकर बेचा जाता है। तस्करी का सालाना कारोबार 15 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का है। गृहमंत्रालय के मुताबिक साल 2014 और 2015 के दौरान बीएसएफ ने 34 गाय तस्करों को मुठभेड़ में मार गिराया।

बांग्लादेश के बॉर्डर एरिया से तस्करी करने के लिए ले जाईं जा रहीं 200 से 250 गायों को बीएसएफ रोजाना बरामद करती है। असम गाय तस्करी का हॉट स्पॉट है। यहां से बांग्लादेश की करीब 263 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है. यही बॉर्डर असम से गायों को बांग्लादेश पहुंचाने का रूट बनता है। भारत-बांग्लादेश सीमा पर गायों की तस्करी को रोकने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस बारे में अपनी सिफारिश केंद्र सरकार को सौंपी है जिस पर कई कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।

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