KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार के जमुई जिले के गिद्धौर ब्लॉक स्थित मौरा गांव में दुर्गा पूजा के बाद मूर्ति विसर्जन के दौरान एक बड़ा हादसा हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स और चश्मदीदों के अनुसार, मूर्ति विसर्जन के समय भारी भीड़ जमा हो गई थी, जिससे अव्यवस्था और भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। भगदड़ के दौरान 12 श्रद्धालु जलते अग्निकुंड में गिर पड़े, जिसमें से तीन महिलाएं गंभीर रूप से झुलस गईं।
घटना कैसे घटी: विसर्जन के समय भीड़ ने ली विकराल रूप
मौरा गांव में हर साल की तरह इस बार भी दुर्गा पूजा के समापन पर दुर्गा मूर्ति विसर्जन का आयोजन किया गया था। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पूजा स्थल पर उमड़ पड़ी थी। विसर्जन जुलूस जैसे ही मुख्य स्थल पर पहुंचा, भीड़ अनियंत्रित हो गई। अव्यवस्था इतनी बढ़ गई कि लोगों में धक्का-मुक्की शुरू हो गई और देखते ही देखते भगदड़ जैसी स्थिति बन गई।
इस दौरान कई श्रद्धालु अपना संतुलन खो बैठे और उसी क्षेत्र में बने अग्निकुंड (हवन कुंड) में गिर पड़े, जिसमें यज्ञ हो रहा था। आग की लपटों में गिरने से 12 लोग झुलस गए, जिनमें से तीन महिलाओं की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है।
तीन महिलाएं गंभीर रूप से झुलसीं, कई अन्य घायल
हादसे में झुलसी तीनों महिलाओं को तुरंत जमुई जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि उनकी हालत गंभीर लेकिन स्थिर है। अन्य नौ घायल श्रद्धालुओं को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है। सभी पीड़ितों के परिजनों को हादसे की सूचना दे दी गई है।
सुरक्षा व्यवस्था नदारद, प्रशासनिक लापरवाही उजागर
स्थानीय लोगों का कहना है कि आयोजन स्थल पर कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी। न ही पुलिस की पर्याप्त मौजूदगी थी और न ही भीड़ नियंत्रण के लिए कोई बैरिकेडिंग या मार्ग निर्धारण किया गया था। इससे साफ है कि प्रशासन ने इतने बड़े धार्मिक आयोजन के लिए पूर्व तैयारियां नहीं की थीं, जिसकी वजह से यह बड़ा हादसा हुआ।
गांव के बुजुर्गों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पहले ही प्रशासन को चेतावनी दी थी कि विसर्जन स्थल संकीर्ण है और वहां भीड़ नियंत्रण की आवश्यकता है, लेकिन अधिकारियों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
स्थानीय प्रशासन और पुलिस पर उठे सवाल
घटना के तुरंत बाद गिद्धौर थाना पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और हालात को काबू में करने की कोशिश की। फिलहाल घटना की जांच शुरू कर दी गई है और यह देखा जा रहा है कि हादसे की असली वजह क्या थी और किनकी लापरवाही से यह दुर्घटना हुई।
बिहार सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार
हादसे की खबर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद बिहार सरकार पर सवाल उठने लगे हैं। अब तक मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, जल्द ही पीड़ितों के लिए मुआवजे की घोषणा की जा सकती है। विपक्षी दलों ने इस दुर्घटना को प्रशासनिक विफलता बताया है और सरकार की आलोचना शुरू कर दी है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और जनता का आक्रोश
राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने इस हादसे को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने मांग की है कि:
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दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।
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घायलों को बेहतर इलाज और मुआवजा दिया जाए।
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भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए भीड़ नियंत्रण के मानक नियम (Standard Operating Procedure) बनाए जाएं।
साथ ही आम जनता और सोशल मीडिया यूज़र्स का भी गुस्सा फूट पड़ा है। कई यूजर्स ने वीडियो और तस्वीरें शेयर करते हुए प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है।
क्या यह हादसा टाला जा सकता था?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर निम्नलिखित व्यवस्थाएं होतीं तो यह हादसा टल सकता था:
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विसर्जन स्थल पर सुरक्षित बैरिकेडिंग।
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श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग प्रवेश और निकास मार्ग।
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भीड़ नियंत्रण के लिए स्वयंसेवकों और पुलिस बल की तैनाती।
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हवन या अग्निकुंड को खुले में रखने की बजाय संरक्षित स्थान पर करना।
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एम्बुलेंस और प्राथमिक चिकित्सा केंद्र की उपस्थिति।
यह हादसा स्पष्ट रूप से दिखाता है कि अब धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य कर देना चाहिए।
त्योहारों के दौरान लगातार दोहराए जा रहे हादसे
यह पहली बार नहीं है जब बिहार में धार्मिक आयोजन के दौरान हादसा हुआ हो। इससे पहले भी छठ पूजा, रामनवमी और अन्य आयोजनों में भीड़ भगदड़ की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। हर बार सरकार और प्रशासन कड़ी कार्रवाई और व्यवस्था सुधारने की बात करता है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई खास बदलाव नहीं दिखाई देता।
जनता की मांग: अब और नहीं
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक सरकार स्थायी समाधान नहीं करेगी और प्रशासन अपने कार्यों में सुधार नहीं लाएगा, तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी। लोगों की जान से खिलवाड़ किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।
मौरा गांव में हुए दुर्गा विसर्जन हादसे ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि हमारे धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा कितनी गंभीर चिंता का विषय है। तीन महिलाएं आज जिंदगी और मौत से जूझ रही हैं, और सवाल यह है कि क्या यह हादसा टल नहीं सकता था?
बिहार सरकार और जिला प्रशासन को अब हर आयोजन से पहले सुरक्षा मानक और भीड़ नियंत्रण योजना बनानी होगी। नहीं तो हर त्योहार मातम में तब्दील होता रहेगा।