Site icon

ज्योतिबा फुले ने ही सर्व प्रथम दलित शब्द का इस्तेमाल किया था

KKN Live का न्यूज एप गूगल प्लेस्टोर पर उपलब्ध है…

ज्योतिराव गोविंदराव फुले का जन्म आज ही के दिन 11 अप्रैल 1827 को हुआ था। उन्हें महात्मा फुले और ज्योतिबा फुले के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें 19वीं सदी के एक महान भारतीय विचारक, समाज सेवी और लेखक के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने समाज सुधार और दलित एवं महिला उत्‍थान के लिए अपना पूरा जीवन न्‍योछावर कर दिया।

उनका परिवार मूल रूप से सतारा का रहने वाला था और कालांतर में वे पुणे आकर बस गये और यहां रहते हुए उन्होंने फूलों के गजरे आदि बनाने का काम शुरू कर दिया। ज्योतिबा ने कुछ समय तक मराठी में अध्ययन किया। किंतु, बीच में पढ़ाई छूट गई और बाद में 21 वर्ष की उम्र में अंग्रेजी की सातवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की। ज्योतिबा फुले ने ही सबसे पहले समाज के कमजोर जातियों के लिए ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल किया था। वर्ष 1873 के सितंबर माहीने में उन्होंने सत्य शोधक समाज नामक समाजिक संगठन का गठन किया था। वे बाल-विवाह के मुखर विरोधी और विधवा-विवाह के पुरजोर समर्थक थे। ज्योतिबा फुले समाज में व्याप्त रूढ़ीवाद का पुरजोर बिरोध किया और समता मूलक समाज बनाने की पहल भी की।
उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले भी एक समाजसेविका थीं। कहतें हैं कि सावित्री बाई भारत की पहली महिला अध्यापिका बनी और नारी मुक्ति आंदोलन चलाया। ज्योतिबा फूले ने अपनी पत्नी के साथ मिल कर लड़कियों की शिक्षा के लिए वर्ष 1848 में एक स्कूल की स्थापना किया था। यह भारत में अपने तरह का पहला स्कूल था। जन्म जयंति के मौके पर उन्हें शत- शत नमन…।

KKN लाइव WhatsApp पर भी उपलब्ध है, खबरों की खबर के लिए यहां क्लिक करके आप हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हैं।

Exit mobile version