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अतिक्रमण का शिकार होती सड़कें

गांव में आवगमन करना हुआ मुश्किल

राजेश कुमार
केंद्र सरकार या राज्य सरकार शहर या गांवों के विकाश के लिए चाहे कोई भी योजना शुरू करे लेकिन जब तक आम लोगों के सोंच का विकाश नही होगा तब तक सारी की सारी योजनाएं धरी की धरी रह जाएगी।
क्यूंकि जब तक हम अपनी सोंच में बदलाव नही लाएंगे, हम अपने आप को नही बदलेंगें, तब तक हमारा या हमारे समाज का विकाश सम्भव नही है। हमारे गांव के विकाश के लिए बाधा रहित सड़कों का होना अनिवार्य है। सरकार इस दिशा में काम भी कर रही है। हर गांव,कस्बों को पक्की सड़क से जोड़ा जा रहा है। बारह फीट चार ईंच चौड़ी सड़कें बन रही है। लेकिन सड़क जब बनकर तैयार हो रही है तो चलने के लिए पांच फीट से सात फीट सड़कें ही चलने के लायक बच रही है।
गाँव में लोग मवेशी रखने से लेकर चारा खिलाने तक का काम रोड पर ही कर रहे है। मकान बना रहे है तो गिट्टी बालू रोड पर, मकान बनाने का मसाला बनाना है तो रोड पर, यानी हर कार्य रोड पर । यहाँ तक की शादी का पंडाल रोड पर बना दिया जाता है और जब पंडाल का काम समाप्त हो जाता है तो पंडाल तोड़ते समय सारा का सारा कांटा रोड पर फेंक दिया जाता है। जिससे आने जाने वाले वाहन अक्सर पंचर होते देखे जाते हैं।
गांवों की कौन कहे चौकचौराहे तो और अतिक्रमण का शिकार है। चाहे मुज़फ़्फ़रपुर जिला का कोई चौक चौराहा हो या चम्पारण का, पटना हो या भागलपुर सब जगह सड़कें अतिक्रमण का शिकार है। समय रहते प्रशासन ने इसे गंभीरता से नही लिया तो आने वाले दिनो में लोगो का असंतोष भड़क सकता है।

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