KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार विधान मंडल का बजट सत्र इन दिनों चल रहा है, और इस दौरान बिहार विधान परिषद में भारी हंगामा हुआ। विपक्षी सदस्यों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर राष्ट्रगान के दौरान अपमान करने का आरोप लगाया और जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इस विवाद के बाद सदन की कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक स्थगित करना पड़ा। इस मुद्दे ने बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ लिया है और विपक्ष ने मुख्यमंत्री से माफी की मांग की है।
विपक्ष का आरोप: नीतीश कुमार ने किया राष्ट्रगान का अपमान
पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रगान के समय ताली बजाई, जो कि एक गंभीर और अपमानजनक हरकत है। राबड़ी देवी ने कहा, “नीतीश कुमार का दिमाग सही तरीके से काम नहीं कर रहा है। यही कारण है कि वह राष्ट्रगान के समय भी ताली बजाते रहते हैं।”
राबड़ी देवी ने और भी तीखे बयान दिए और कहा कि अगर नीतीश कुमार का दिमाग सही नहीं है, तो उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ देनी चाहिए और अपने बेटे को मुख्यमंत्री बना देना चाहिए। राबड़ी देवी ने कहा, “अगर उनका दिमाग खराब हो गया है, तो उन्हें अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए। नीतीश कुमार ने बिहार और देश को शर्मसार किया है।”
विधान सभा में हंगामा
जैसे ही बिहार विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी विधायकों ने जमकर हंगामा करना शुरू कर दिया। विपक्षी विधायक नारेबाजी करते हुए वेल में घुस आए। स्पीकर ने उन्हें शांत करने की कोशिश की, लेकिन विपक्षी विधायकों ने रिपोर्टिंग टेबल को उलटने की कोशिश की। इस भारी बवाल के बीच, सदन की कार्यवाही मात्र 8 मिनट में ही स्थगित कर दी गई, और इसे दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
राबड़ी देवी की माफी की मांग
राबड़ी देवी और विपक्षी नेताओं ने नीतीश कुमार से माफी की मांग की। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री का ऐसा आचरण पूरी तरह से अस्वीकार्य है और इससे बिहार के सम्मान को ठेस पहुंची है। विपक्षी नेताओं का आरोप था कि मुख्यमंत्री ने न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश को शर्मसार किया है। उनका कहना था कि इस अपमानजनक व्यवहार के लिए नीतीश कुमार को तुरंत माफी मांगनी चाहिए।
राष्ट्रीय सम्मान पर उठे सवाल
राष्ट्रगान का सम्मान करना हर नागरिक का कर्तव्य होता है। यह घटना उस समय सामने आई है जब देश भर में राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय प्रतीकों के सम्मान को लेकर गंभीर चर्चा हो रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोप यह संकेत देता है कि राजनीति में कभी-कभी आदर्शों और संस्कृति के प्रति संवेदनशीलता की कमी हो सकती है। विपक्ष का कहना है कि इस प्रकार के व्यवहार से ना केवल राजनीति में दरार आती है, बल्कि यह समाज में गलत संदेश भी भेजता है।
बिहार की राजनीति में नया मोड़
यह घटनाक्रम बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। राबड़ी देवी और अन्य विपक्षी नेताओं के तीखे आरोप, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ उठ रहे सवाल, और सदन की कार्यवाही का स्थगन, यह सब संकेत देते हैं कि बिहार में राजनीतिक हालात और भी उग्र हो सकते हैं। यह मुद्दा केवल एक व्यक्तिगत विवाद तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह आगामी चुनावों में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।
क्या होगा आगे?
अगले कुछ दिनों में इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो सकती है। विपक्षी दलों के नेताओं का आरोप है कि नीतीश कुमार का यह व्यवहार उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाता है। वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी इस विवाद पर अपनी सफाई देनी होगी। उनका इस मामले पर क्या रुख होता है, यह देखना दिलचस्प होगा।
इस घटना के बाद बिहार सरकार की छवि पर भी असर पड़ सकता है। जब राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान होता है, तो यह समाज में असहमति और विरोध को जन्म देता है, और इसके राजनीतिक परिणाम भी हो सकते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी ताकि कोई और विवाद ना उठे।
विपक्षी दलों का एकजुटता
इस मुद्दे पर विपक्षी दलों की एकजुटता भी महत्वपूर्ण है। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के नेतृत्व में विपक्ष ने नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला है। यह घटना विपक्ष को एकजुट करने का काम कर सकती है, क्योंकि आने वाले चुनावों में इस तरह के विवादों का फायदा राजनीतिक रूप से उठाया जा सकता है।
विपक्ष के नेताओं का यह आरोप भी है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफ से इस मुद्दे पर माफी की मांग पूरी नहीं होने तक उनकी राजनीति के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा। ऐसे में यह मामला विधानसभा के भीतर ही नहीं, बल्कि राज्य के बाहर भी सुर्खियां बटोर सकता है।
बिहार विधान परिषद में विपक्षी नेताओं द्वारा नीतीश कुमार पर राष्ट्रगान के अपमान का आरोप और इसके बाद हुए हंगामे ने राज्य की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस घटनाक्रम ने साबित कर दिया कि राजनीति में छोटे से विवाद भी बड़े मुद्दे का रूप ले सकते हैं, और यह घटना भी शायद अगले चुनावों में एक बड़ा चुनावी मुद्दा बने।
नीतीश कुमार को इस मामले में अपनी सफाई देनी होगी, जबकि विपक्ष ने उनके खिलाफ माफी की मांग की है। यह घटना निश्चित रूप से बिहार की राजनीति पर असर डालेगी और आने वाले दिनों में इसका राजनीतिक प्रभाव देखने को मिल सकता है।