खुलाशा : लोकसभा की बैठक से दूर रहतें हैं अधिकांश सांसद

राहुल गांधी से ज्‍यादा बार संसद में गईं सोनिया गांधी

लोकसभा की सभी बैठको में मौजूद रहे सिर्फ पांच सांसद

कौशलेन्द्र झा

नई दिल्ली। मौजूदा लोकसभा के तीन साल में 545 सदस्यों में से सिर्फ पांच सांसद ही ऐसे है जिनकी उपस्थिति शत प्रतिशत रही। चौकाने वाली बात ये है कि चुनाव जीत कर सरकारी सुविधा का भरपुर लाभ उठाने वाले हमारे माननीय, आखिरकार सरकारी कार्यो के संचालन में हिस्सा क्यों नही लेंते। सवाल उठता है कि खुद को गरीबो का मसीहा कहने वाले और गरीबो का वोट बटोर कर संसद पहुंचने वाले हमारे सांसद महोदय, विधायी कार्य के महत्वपूर्ण मौके पर कहां चले जातें हैं? अब वक्त आ गया है कि इस पर भी बहस होना चाहिए।
बहरहाल, उत्तर प्रदेश के बांदा के सांसद भैरों प्रसाद मिश्रा की उपस्थिति 100 प्रतिशत है। उन्होंने 1,468 बहस और चर्चाओं में भाग लिया जो लोकसभा का रिकार्ड बन गया है। जिन चार अन्य सांसदों ने 100 प्रतिशत बैठकों में हिस्सा लिया, उनमें बीजद के कुलमणि समल, भाजपा के गोपाल शेट्टी, भाजपा के किरीट सोलंकी, भाजपा के रमेश चंद्र कौशिक शामिल हैं। रिकार्ड पर गौर करें तो लोकसभा के 22 सदस्यों ने आधी से भी कम बैठकों में भाग लिया है। पीआरएस लेजिस्लेटिव के आंकड़ों के अनुसार मात्र 133 ऐसे संसद सदस्य है, जो  90 प्रतिशत से अधिक बैठकों में हिस्सा लिया है।
गौरतलब ये कि कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने अपने ही बेटे राहुल गांधी की तुलना में सदन की ज्यादा बैठकों में हिस्सा लिया। कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी की उपस्थिति का प्रतिशत 59 है। वही, राहुल गांधी का 54 प्रतिशत है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और वीरप्पा मोइली ने क्रमश: 92 प्रतिशत और 91 प्रतिशत बैठकों में भाग लिया। ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजीव सातव ने क्रमश: 80 और 81 प्रतिशत बैठकों में हिस्सा लिया है।
सपा नेता मुलायम सिंह यादव ने 79 प्रतिशत बैठकों में भाग लिया वहीं उनकी पुत्रवधु डिंपल यादव की उपस्थिति का प्रतिशत सिर्फ 35 है। पीएमपीके नेता अंबुमणि रामदास की उपस्थिति 45 प्रतिशत रही जबकि झामुमो नेता शिबु सोरेन की उपस्थिति मात्र 31 प्रतिशत रही।
चंडीगढ़ से सांसद किरण खेर की उपस्थिति 86 प्रतिशत रही जबकि परेश रावल की उपस्थिति का प्रतिशत 68 रहा। शत्रुघ्न   सिन्हा ने 70 प्रतिशत बैठकों में भाग लिया लेकिन उन्होंने किसी चर्चा में हिस्सा नहीं लिया और नाही कोई सवाल पूछे। तृणमूल सांसद मुनमुन सेन का भी रिकॉर्ड ऐसा ही रहा।
नोट:-  प्रधानमंत्री और कुछ मंत्रियों को उपस्थिति रजिस्टर पर हस्ताक्षर करना जरूरी नहीं होता है। विपक्ष के नेता को भी यह छूट प्राप्त है।

KKN लाइव WhatsApp पर भी उपलब्ध है, खबरों की खबर के लिए यहां क्लिक करके आप हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हैं।


Discover more from

Subscribe to get the latest posts sent to your email.