महागठबंधन खेमे में जबरदस्त उत्साह
KKN न्यूज ब्यूरो। झारखंड के नतीजे भाजपा के लिए अति आत्मविश्वास की परिणति है। हालांकि, वहां इस तरह के नतीजों की जमीन पहले ही बन चुकी थी। बावजूद इसके भाजपा नेतृत्व ने धुंआधार प्रचार कर आखिरी समय तक नतीजों को अपने पक्ष में करने के लिए पूरी ताकत झोंकी। नुकसान की बड़ी वजह विपक्ष का गठबंधन में उतरना और भाजपा का गठबंधन बरकरार नही रख पाना माना जा रहा है। फिलहाल, झारखंड में महागठबंधन की शानदार जीत पर महागठबंधन के समर्थक बिहार में भी जश्न मना रहें हैं।
सहयोगियों से तरकरार बना हार का कारण
भाजपा की समस्याएं सरकार में साझीदार रहे आजसू के साथ चुनावी गठबंधन नहीं हो सका। इसके अतिरिक्त भाजपा के शीर्ष नेतृत्व अति आत्मविश्वास में अपने वरिष्ठ नेता सरयू राय समेत कई नेताओं के बगावत को समय रहते रोक नहीं पाई और आखिरकार यही अति आत्मविश्वास एसे ले डूबा। दूसरी तरफ विपक्ष ने समय की नजाकत को समझा और एकजुट होकर भाजपा को जबरदस्त चुनौती दे डाली। ऐसे में दिग्गजों का प्रचार भी प्रमुख विपक्षी दलों की एकजुटता से पार्टी को आगे नहीं निकाल सका। बीते एक साल के विधानसभा चुनाव में भाजपा अपनी सत्ता वाले जिन राज्यों में हारी है, उन सभी राज्यों में कमोवेश यही कारण उभर कर सामने आए हैं।
दिल्ली व बिहार पर पड़ सकता है असर
भाजपा के सामने अगले साल की शुरुआत में दिल्ली और आखिर में बिहार के सबसे अहम चुनाव हैं। दिल्ली में वह बीस साल से सत्ता से बाहर है। लोकसभा चुनाव की बात छोड़ दें तो वह यहां पर नगर निगम का पार्टी बन कर रह गई है। ऐसे में उसके लिए आम आदमी पार्टी से मुकाबले के लिए नेतृत्व और रणनीति दोनों पर एक साथ काम करना होगा। बिहार में जदयू से गठबंधन राज्य में जीत की गांरटी माना जाता है, लेकिन चुनाव तक दोनों में सब ठीक ठाक रहे यह भी जरूरी नहीं है। बिहार में उपचुनावों के नतीजों ने यह साफ किया है कि इस बार भाजपा व जदयू के गठबंधन को कड़ी चुनौती के लिए तैयार रहना होगा।
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