संतोष कुमार गुप्ता
यूपी के सहारनपुर के नटबाजी समाज में अभी भी शादी की अनोखी परम्परा है। यहां मरने के बाद भी सात फेरे के मंत्र पढे जाते है। हर मां-बाप का सपना होता है कि उनके बेटे-बेटी की शादी बडी धूमधाम से हो। इस सपने को पूरा करने के लिए वो कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते और शादी में दिल खोलकर पैसा भी खर्च करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी किसी मरे हुए इंसान की शादी के बारे में सुना है। यह पढकर एक बार तो आप भी चकित रह गए होंगे, लेकिन यूपी में एक जगह ऐसी भी है जहां ये बात सच साबित होती है।
यूपी के सहारनपुर जिले में नटबाजी समाज वर्षों पुरानी परम्पराओं को आज भी बखूबी निभा रहा है। नटबाजी समाज में सिर्फ जिंदा ही नहीं बल्कि मर चुके बच्चों की शादी भी बेहद धूमधाम से करने की अनोखी परम्परा है।
हाल ही में मीरपुर के रामेश्वर ने 18 साल पहले मर चुकी अपनी बेटी की शादी हरिद्वार के गांव में रहने वाले तेजपाल के मृत बेटे के साथ हिन्दू रीति-रिवाज के साथ कराई। इस समुदाय में यह परम्परा सादियों से चल आ रही है। यहां मंडप में दूल्हा-दुल्हन की जगह गुड्डा-गुडियां रखे जाते हैं। जानकारी के अनुसार, रामेश्वर की बेटी पूजा की दो साल की उम्र में मौत हो गई थी। उसने बड़ी मुश्किल से हरिद्वार के गाधारोना गांव में तेजपाल के घर मृत दूल्हे की तलाश की। शादी के बाद विदाई भी की गई। इस अनोखी शादी समारोह में करीब पचास लोग बाराती बन कर पहुंचे थे।
बाल विवाह का विरोधी यह गांव बच्चों के मरने के बाद उनके बालिग होने पर ही विवाह करता है। यहां मान्यता है कि ऐसा करने से उनकी मृत संतान भी अविवाहित नहीं रहती है। इस दौरान बैंड-बाजे के साथ बारात मृत कन्या पक्ष के दरवाजे पर आती है और शादी की सभी रस्में भी पूरे रीति-रिवाज के साथ संपन्न कराई जाती हैं। यही नहीं कन्या पक्ष अपने सामर्थ्य के अनुसार वर पक्ष को दान-दहेज भी देता है। हैं ना चौकाने वाली खबर।
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