गंगा बेसिन में खतरनाक हुआ आर्सेनिक की मात्रा

कैसे जानलेवा बन गयी जीवनदायनी गंगा

पटना। बिहार की राजधानी पटना में जीवनदायनी पावन गंगा अब जानलेवा बनती जा रही है। दरअसल, गंगा किनारे रहने वाले लोगों में पित्त की थैली का कैंसर होने की शिकायत सबसे अधिक पायी गई है। आईजीआईएमएस में हुए एक शोध से इसका खुलासा हुआ है। शोध से पता चला है कि पटना जिले में गंगा के किनारे रहने वाले करीब 16 फीसदी लोगो में कैंसर पाया गया हैं। यानी गंगा का निर्मल जल पीकर निरोग होने की बात अब गए दिनो की बात होकर रह जायेगी और मौजूदा समय में आलम ये है कि गंगा का पानी कैंसर जैसे जानलेवा रोग का कारक बनने लगा है।

गंगा के जल में बढ़ी आर्सेनिक की मात्रा
आईजीआईएमएस के कैंसर एवं पेट रोग विभाग में हुए शोध का खुलाशा चौकाने वाला है। शोध के मुताबिक जो जिले गंगा से दूर हैं, वहां की तुलना में गंगा से सटे जिले में 1.7 गुना अधिक गॉल ब्लाडर कैंसर होने का जोखिम पाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार बिहार में गंगा के किनारे पर दोनों ओर बसे जिले के भू-जल में आर्सेनिक की मात्रा सामान्य से अधिक पायर गई है। नतीजा, इस इलाके में गॉल ब्लाडर के कैंसर रोगियों की संख्या 1.7 प्रतिशत अधिक पायी गई है।
अलग-अलग वर्ग में रख कर हुआ शोध
वर्ष 2014 से 2017 तक यानी तीन वर्षों के बीच सभी मरीजों का विश्लेषण किया गया है। अध्ययन में शामिल विभागाध्यक्ष डॉ. अविनाश कुमार पांडेय के मुताबिक 1,291 कैंसर के रोगियों पर शोध किया गया है। इसमें कैंसर पीड़ितो को उनके स्थान के मुताबिक अलग- अलग समूह में बांट कर उन पर शोध किया गया। बतातें चलें कि इस अध्ययन में राज्य के सभी 38 जिलों के कैंसर पीड़ितो को शामिल किया गया था। इसके बाद जो खुलाशा हुआ, वह वास्तव में चौकाने वाला है। सबसे अधिक कैंसर प्रभावित वाला इलाका बिहार की राजधानी पटना पाया गया है। यहां करीब 16 प्रतिशत गॉल ब्लाडर कैंसर के रोगी का होना हैं। विशेषज्ञो को भी चौका दिया है। वहीं वैशाली 5.8 प्रतिशत कैंसर रोगियों के साथ दूसरे स्थापन पर पाया गया है।
महिलाएं सर्वाधिक चपेट में
बिहार के 38 जिले से आए मरीजों को चार भाग में बांटकर अध्यन किया गया। इसमें महिलाओं में गॉल ब्लाडर कैंसर की शिकायत सबसे अधिक पायी गई। यह भी निष्कर्ष निकला कि गंगा बेसिन एवं आर्सेनिक वाले स्थानों के लोगों में गॉल ब्लाडर कैंसर की संभावना दूसरे क्षेत्रों से 1.7 गुना अधिक है। डॉ. अविनाश ने बताया कि पूर्व में दूसरे राज्यों में भी इस तरह के अध्ययनों से यह साबित हुआ है, लेकिन बिहार में रोगियों की संख्या सबसे अधिक है। अब आईजीआईएमएस के क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में आने वाले सभी मरीजों की सूची तैयार की जाती है।

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