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अधिक शोर का शरीर पर पड़ता है प्रतिकूल असर

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इंसान को सकून के लिए प्रयाप्त और गहरा नींद का होना बहुत ही आवश्यक है। किंतु, हालिया दिनो में नींद एक बड़ी समस्या बन कर उभरी है। इसके कई कारण है। किंतु, वातावरण में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को इसका सबसे प्रमुख कारण वाताया जा रहा है। हाल ही में हुए एक सर्वे के अनुसार बेंगलुरु में लोग बिस्तर पर जाने के कुछ ही देर के भीतर ही सो जाते हैं। क्योंकि, यहां शोर का स्तर कम पाया गया है। वहीं, दिल्ली और मुंबई का शोर लोगों को सोने नहीं दे रहा है। नतीजा, विस्तर पर जाने के बाद भी नींद के लिए इंतजार करना पड़ता है और इससे तनाव का उत्पन्न हो जाता है। सर्वे से खुलाशा हुआ है कि बेंगलुरु में लोग रात के 10 से 11 बजे के बीच सो जातें हैं। वहीं, मुंबई में लोग अमूमन आधी रात के बाद ही सोते हैं।
गहरे नींद से कम होता है तनाव
सर्वे से पता चला है कि जो लोग अच्छी नींद सोते हैं, उनमें दो तिहाई से ज्यादा लोगों का कहना था कि वह पूरे मन से काम करते हैं और उसके परिणाम भी बहुत अच्छे आते हैं। इसकी तुलना में कम सोने या बिलम्ब से सोने वाले लोग अपना कोई भी काम पूरे मन से नहीं कर पाते है और चिड़चिड़ेपन का शिकार हो जातें हैं।
नींद आने में बाधक है तनाव
सर्वे से यह तथ्य भी सामने आया कि अविवाहित और बाल बच्चों वाले दंपति की नींद, नि:संतान दंपतियों से कहीं बेहतर होती है। यहां यह भी दिलचस्प है कि अपने बच्चों के साथ सोने वाले माता पिता को नींद आने में मुश्किल होती है। इसी तरह तीन साल से ज्यादा पुराने गद्दे हों तो नये गद्दों पर सोने वालों की तुलना में नींद आने में 20 प्रतिशत अधिक समस्या हो सकती है।
धूम्रपान करने से भी नहीं आती है नींद
सर्वे से पता चला है कि धूम्रपान करने वाले लोगों के मुकाबले ऐसा न करने वालों को बेहतर नींद आती है। यह भी उल्लेखनीय है कि सिगरेट की संख्या जितनी बढ़ती जाती है नींद की मात्रा उतनी कम होती जाती है। यही हाल मोटापे का भी है। मोटे लोगो में नींद से जुड़ी परेशानियां ढाई गुना तक ज्यादा होती हैं। आपको जान कर हैरत होगी तेज आवाज में अधिक देर तक रहने से मेटाबोलिक डिसऑर्डर का खतरा बढ़ जाता है और इससे नींद, मोटापा, चिड़चिड़ापन और रक्तचाप की समस्या का उत्पन्न होना तय माना जा रहा है।
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