मुजफ्फरपुर। बिहार के मुजफ्फरपुर जिला अन्तर्गत मीनापुर प्रखंड के रामपुरहरि गांव स्थित आयुर्वेदिक औषधालय पिछले 22 वर्षों से बंद पड़ा है। दो दशक पहले तक स्वास्थ लाभ लेने के लिए जहां भीड़ उमड़ती थी। वहां आज चारों ओर विरानी पसरी है। प्रखंड के जनप्रतिनिधि औषधालय को पुर्नजीवित करने की मुहिम शुरू की है। इसके पुर्नजीवित होने से लोगों को महंगे इलाज से राहत मिलेगी।
विदित हो कि वर्ष 1924 में रामपुरहरि में आयुर्वेदिक औषधालय की स्थापना की हुई थी। यह औषधालय तीन एकड़ जमीन पर फैला था। हालांकि, इसमें से अधिकांश जमीन पर आज लोगों ने अवैध कब्जा जमा रखा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि 1988 तक स्वास्थ्य लाभ के लिए यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचते थे। इसके कुछ समय बाद यहां दवा का आवंटन बंद हो गया और औषधालय की हालत खराब होने लगी। 1990 में औषधालय के कंपाउंडर की मौत हो गई और 2008 में अस्पताल की सुरक्षा में तैनात चौकीदार की भी मौत हो गई। इसके बाद से औषधालय विरान हो गया। तात्कालीन चिकित्सा पदाधिकारी डा. दिनेश कुमार सिंह ने उस वक्त के डीडीसी व डीएम को कई पत्र लिख कर स्थिति से अवगत कराया। लेकिन किसी ने संज्ञान नहीं लिया। एक बार फिर से जनप्रतिनिधियों ने औषधालय को चालू कराने के लिए प्रयास शुरू किया। छात्र राजद के जिला अध्यक्ष अमरेन्द्र कुमार ने कोर्ट में परिवाद दायर की है। इस परिवाद में औषधालय को चालू कराने के लिए कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग की गई है।
आज भी मौजूद हैं दुर्लभ औषधीय पौधे
रामपुरहरि के आयुर्वेदिक औषधालय भले ही पिछले दो दशक से बंद पड़ा है। लेकिन इसके परिसर में आज भी दुर्लभ औषधीय पौधे मौजूद हैं। इसमें अर्जुन, अशोक, आंवला, हर्रे, बहेड़ा, गम्भार, सोनापाटा, नीम, बेल, बाकस, गनियार, तेंदू, गन्ध पसार, बरियार, अतिवला, पत्थरचूर और कूदस जैसे दुलर्भ औषधीय पौधे शामिल है। बताया गया कि इन्हीं पौधों से यहां औषधी भी तैयार की जाती थी। अब स्थानीय लोग इन औषधीय पौधों को जलावन के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।
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