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फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव की शहादत, अपने साथी की जान बचाने के लिए दी अपनी जान

KKN गुरुग्राम डेस्क | 2 अप्रैल 2025 को गुजरात के जामनगर में भारतीय वायु सेना का जगुआर फाइटर जेट क्रैश हो गया, जिसमें फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव शहीद हो गए। इस दुखद घटना में एक विशेष बात सामने आई, जो सिद्धार्थ यादव की वीरता और आत्म बलिदान को उजागर करती है। उन्होंने अपने साथी की जान बचाने के लिए अपनी जान की आहुति दे दी। इस घटना ने सिद्धार्थ यादव के अद्वितीय साहस और देशभक्ति को दुनिया के सामने लाया। इस लेख में हम सिद्धार्थ यादव की वीरता और उनकी शहादत के बारे में विस्तार से जानेंगे।

जामनगर में जगुआर फाइटर जेट क्रैश: सिद्धार्थ यादव की शहादत और साहस

2 अप्रैल 2025 को भारतीय वायु सेना के जगुआर फाइटर जेट का जामनगर (गुजरात) में एक दुर्घटना हो गई। इस क्रैश में फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव शहीद हो गए। हालांकि, इससे पहले सिद्धार्थ ने अपने सहकर्मी की जान बचाई। यह घटना उस समय हुई जब सिद्धार्थ यादव और उनके सहकर्मी प्रशिक्षण मिशन पर थे। वायु सेना के अनुसार, सिद्धार्थ ने खुद को खतरे में डालकर अपने सहकर्मी को जेट से बाहर निकालने का प्रयास किया, जिससे उनके सहकर्मी की जान बच सकी। सिद्धार्थ ने अपने कर्तव्य को सर्वोपरि माना और देश के लिए अपना जीवन अर्पित किया।

सिद्धार्थ यादव: रेवाड़ी के बहादुर बेटे की कहानी

फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव का जन्म हरियाणा के रेवाड़ी जिले के छोटे से गांव में हुआ था। सिद्धार्थ का परिवार भारतीय सेना के प्रति अपनी निष्ठा और सेवा के लिए जाना जाता है। उनके पिता सुशील यादव भी सेना में सेवा दे चुके थे, और सिद्धार्थ ने भी हमेशा सेना में जाने का सपना देखा। उनके परिवार ने सिद्धार्थ के फैसले का समर्थन किया और वे गर्व महसूस करते थे कि उनका बेटा भारतीय वायु सेना का हिस्सा बनेगा।

सिद्धार्थ के परिवार का सपना था कि उनका बेटा एक दिन चीफ ऑफ एयर स्टाफ बने, जो भारतीय वायु सेना का सर्वोच्च पद है। सिद्धार्थ ने हमेशा अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की और अपनी पूरी सेवा व ईमानदारी से देश के प्रति कर्तव्यों का पालन किया। उनका निधन उनके परिवार के लिए एक बड़े आघात के रूप में आया, लेकिन उनके परिवार ने गर्व के साथ कहा कि सिद्धार्थ ने देश के लिए अपनी जान दी, और वे इस बलिदान पर गर्व महसूस करते हैं।

शहादत से पहले सिद्धार्थ यादव का साहसिक कार्य

2 अप्रैल को सिद्धार्थ यादव जगुआर फाइटर जेट उड़ाते हुए जामनगर में एक सामान्य प्रशिक्षण मिशन पर थे, लेकिन जेट के सिस्टम में अचानक कोई तकनीकी खराबी आ गई, जिससे जेट क्रैश हो गया। सिद्धार्थ यादव और उनके सहकर्मी के पास जेट को सुरक्षित रूप से उतारने का कोई विकल्प नहीं था। लेकिन सिद्धार्थ यादव ने एक अत्यंत साहसिक निर्णय लिया। उन्होंने अपनी जान को खतरे में डालकर अपने सहकर्मी को सुरक्षित बाहर निकालने का फैसला किया। सिद्धार्थ ने अपने साथी को जेट से बाहर निकालने का मौका दिया और खुद जेट में फंसे रहे, जिस कारण वह शहीद हो गए।

उनके इस साहसिक कार्य ने सभी को प्रेरित किया और उनके वीरता की मिसाल कायम की। उनके कर्तव्य के प्रति इस समर्पण ने उन्हें देशभक्ति और साहस का प्रतीक बना दिया।

शहीद सिद्धार्थ यादव का अंतिम संस्कार और सम्मान

सिद्धार्थ यादव के शव को जामनगर से उनके घर रेवाड़ी लाया गया, जहां पर उनके परिवार ने उन्हें अंतिम विदाई दी। उनके पिता सुशील यादव ने उनके शरीर को अंतिम संस्कार के लिए तैयार किया और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की। इस मौके पर भारतीय वायु सेना के अधिकारियों ने सिद्धार्थ यादव को राष्ट्रीय सम्मान दिया। वायु सेना की टुकड़ी ने उल्टे हथियार से सलामी दी और उनकी शहादत को श्रद्धांजलि अर्पित की।

सिद्धार्थ यादव की मंगेतर सानिया भी अंतिम संस्कार में शामिल हुईं। वह अपने प्रियतम के पार्थिव शरीर को देख कर फूट-फूट कर रो पड़ीं। उन्होंने कहा, “बेबी, तुम नहीं आए। तुमने कहा था कि तुम जरूर आओगे।” सिद्धार्थ और सानिया की सगाई सिर्फ दस दिन पहले हुई थी, और उनकी शादी 2 नवंबर को तय थी। उनके परिवार ने शादी की तैयारी शुरू कर दी थी, लेकिन दुर्भाग्यवश यह सपना पूरा नहीं हो सका।

माँ और पिता का गर्व और शोक

सिद्धार्थ यादव की माँ सुशीला यादव और उनकी बहन खुशी यादव भी इस कठिन समय में बहुत दुखी थीं, लेकिन उन्होंने सिद्धार्थ की शहादत पर गर्व भी महसूस किया। माँ ने कहा, “मुझे अपने बेटे पर गर्व है। मैं देश की हर मां से कहूंगी कि वे अपने बेटों को सेना में भेजें। मुझे उसके बलिदान पर गर्व है। वह कभी डरता नहीं था और हमेशा दूसरों के लिए आगे आता था।”

पिता सुशील यादव ने कहा, “मेरे बेटे का सपना था कि वह एक दिन चीफ ऑफ एयर स्टाफ बने। यही सपना हर वायु सेना अधिकारी के पिता का होता है। मेरे बेटे ने हमेशा खुद को दूसरों के लिए समर्पित किया। उसने अपनी जान की परवाह किए बिना अपने सहकर्मी की जान बचाई। वह एक बहादुर बच्चा था।”

सिद्धार्थ यादव की शहादत: देश के लिए बलिदान

विग कमांडर सचिन चंद्र निकाह, जो सिद्धार्थ के वरिष्ठ अधिकारी थे, ने कहा, “सिद्धार्थ यादव एक होनहार और बहादुर पायलट थे। उन्होंने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए देश के लिए अपना बलिदान दिया। वह हमेशा अपने कार्य के प्रति समर्पित थे और उनकी शहादत हमें प्रेरणा देती है।”

सिद्धार्थ यादव का साहस और उनके बलिदान ने यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय वायु सेना के जवानों में कितनी कड़ी मेहनत और समर्पण होता है। उनकी शहादत ने यह भी दर्शाया कि हमारे जवान हमेशा अपनी जान की परवाह किए बिना देश की सेवा में लगे रहते हैं। सिद्धार्थ यादव की शहादत हम सबके लिए प्रेरणा है और उनकी कहानी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव की शहादत ने हमें यह सिखाया कि कर्तव्य और साहस के लिए आत्म बलिदान करना सबसे बड़ी सेवा है। सिद्धार्थ ने अपने जीवन का सर्वोत्तम उदाहरण पेश किया। उनके बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा, और उनका नाम भारतीय वायु सेना के इतिहास में एक महान शहीद के रूप में अंकित रहेगा।

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