KKN गुरुग्राम डेस्क | शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में अगले साल से बड़ा बदलाव होने जा रहा है। सरकार ने शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए कई नए नियम लागू करने का फैसला लिया है। अब से, चार वर्षीय इंटीग्रेटेड टीचर्स एजुकेशन प्रोग्राम (आईटीईपी), बीएड और एमएड के लिए नामांकन प्रक्रिया को और अधिक केंद्रीकृत और पारदर्शी बनाने के लिए राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाएगी। इसके साथ ही, बीएड कोर्स अब एक वर्ष के साथ-साथ दो वर्ष के भी विकल्प में उपलब्ध होंगे।
यह बदलाव केवल पाठ्यक्रम की संरचना में नहीं, बल्कि प्रवेश प्रक्रिया में भी गहरा असर डालेगा। छात्रों को अब एक ही प्रवेश परीक्षा के माध्यम से इन महत्वपूर्ण शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में प्रवेश मिलेगा।
शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में होने वाले बदलाव
2025 से लागू होने वाले इस नए रेगुलेशन के तहत, छात्र अब केवल कुछ पुराने कोर्स के बजाय नए और अधिक व्यवस्थित कार्यक्रमों का हिस्सा बनेंगे। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब चार वर्षीय इंटीग्रेटेड टीचर्स एजुकेशन प्रोग्राम (आईटीईपी) के साथ-साथ बीएड और एमएड में नामांकन राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली एक प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होगा, जिसे राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।
इस नए बदलाव के तहत, उम्मीदवारों को अब देशभर में आयोजित होने वाली एक परीक्षा के माध्यम से इन सभी कोर्सेस में प्रवेश मिलेगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी छात्रों के पास एक समान अवसर हो, और प्रवेश प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होगी।
बीएड और एमएड के लिए बदलाव
पहले, बीएड कोर्स केवल एक वर्ष का होता था, लेकिन अब यह एक वर्ष और दो वर्ष दोनों विकल्पों में उपलब्ध होगा। यह बदलाव छात्रों को अपनी जरूरतों और समय के हिसाब से कोर्स चुनने की स्वतंत्रता देगा। इससे यह संभावना भी है कि कुछ छात्र अपनी तैयारी को और मजबूत करने के लिए दो साल का कोर्स चुनें, जबकि कुछ छात्र एक साल में अपनी शिक्षा पूरी करने के इच्छुक होंगे।
इसके अलावा, आईटीईपी में अब 12वीं के बाद प्रवेश लिया जा सकेगा। पहले यह कार्यक्रम ग्रेजुएशन के बाद शुरू किया जाता था, लेकिन अब छात्रों को 12वीं के बाद ही यह अवसर मिलेगा। इसका उद्देश्य छात्रों को जल्दी से जल्दी शिक्षक बनने का मौका देना है, ताकि वे अपनी शिक्षा को और प्रभावी तरीके से जारी रख सकें।
NTA द्वारा आयोजित होने वाली परीक्षा
आईटीईपी, बीएड और एमएड के लिए प्रवेश परीक्षा अब राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित की जाएगी। एनटीए पहले ही अन्य प्रमुख प्रवेश परीक्षाओं जैसे जेईई, नीट और सीयूईटी के लिए जिम्मेदार है, और अब इसे शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए भी शामिल किया जा रहा है। यह सुनिश्चित करेगा कि प्रवेश परीक्षा पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी हो।
एनटीए द्वारा एक केंद्रीयकृत परीक्षा प्रणाली लागू होने से छात्रों को विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रवेश पाने के लिए एक से अधिक परीक्षा देने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे छात्रों का समय बच सकेगा और प्रक्रिया भी सरल हो जाएगी।
50 प्रतिशत अंक अनिवार्य
इस नए रेगुलेशन के तहत, बीएड, एमएड और आईटीईपी कार्यक्रमों में प्रवेश लेने के लिए छात्रों के पास संबंधित संकाय में कम से कम 50 प्रतिशत अंक होना अनिवार्य होगा। यह मानक यह सुनिश्चित करेगा कि केवल योग्य छात्र ही इन कार्यक्रमों में प्रवेश कर सकें। यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए उठाया गया है, ताकि शिक्षक बनने वाले उम्मीदवारों की बुनियादी शैक्षिक योग्यता मजबूत हो।
आईटीईपी का महत्व
चार वर्षीय इंटीग्रेटेड टीचर्स एजुकेशन प्रोग्राम (आईटीईपी) अब 12वीं के बाद छात्रों के लिए उपलब्ध होगा। यह कार्यक्रम शिक्षा और शिक्षक प्रशिक्षण के बीच की खाई को पाटने का एक प्रयास है। आईटीईपी कोर्स में छात्रों को एकीकृत तरीके से शिक्षा का पूरा अनुभव मिलेगा, जो उन्हें शैक्षिक ज्ञान और अध्यापन कौशल दोनों में दक्ष बनाएगा।
आईटीईपी की शुरुआत का उद्देश्य छात्रों को एक ही कोर्स में शैक्षिक ज्ञान और शिक्षक प्रशिक्षण दोनों प्रदान करना है। यह कोर्स उन छात्रों के लिए आदर्श है जो शिक्षक बनने के लिए पूर्ण रूप से समर्पित हैं। यह शिक्षा क्षेत्र में एक नई दिशा देने का प्रयास करेगा, जिससे भारतीय शिक्षा प्रणाली को मजबूती मिलेगी।
शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में बदलाव का प्रभाव
यह बदलाव छात्रों के लिए कई नई संभावनाएं खोलेगा। अब वे केवल एक बार प्रवेश परीक्षा में बैठकर देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों में नामांकन प्राप्त कर सकेंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी छात्रों को समान अवसर मिलेंगे, और शिक्षा क्षेत्र में समानता को बढ़ावा मिलेगा।
इस बदलाव का दूसरा बड़ा लाभ यह होगा कि छात्रों को अब पहले से ज्यादा चुनाव की स्वतंत्रता मिलेगी। बीएड कोर्स का दो साल का विकल्प, और आईटीईपी में 12वीं के बाद प्रवेश जैसी सुविधाएं छात्रों के लिए अधिक लचीला और उपयुक्त रास्ता उपलब्ध कराएंगी।
शिक्षक शिक्षा प्रणाली में सुधार
इन बदलावों का उद्देश्य शिक्षक शिक्षा प्रणाली में सुधार लाना है। नए कार्यक्रमों और संशोधित प्रवेश प्रक्रिया से भारतीय शिक्षा में एक नई ऊर्जा का संचार होगा। इससे न केवल शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि छात्रों को भी उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिलेगी।
भारत में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार का मुख्य उद्देश्य यह है कि अच्छे और सक्षम शिक्षक तैयार किए जाएं, जो विद्यार्थियों को बेहतर तरीके से पढ़ा सकें और उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन दे सकें।
छात्रों के लिए क्या मतलब है?
यह बदलाव विशेष रूप से उन छात्रों के लिए महत्वपूर्ण होगा जो शिक्षक बनने के लिए प्रयासरत हैं। अब वे अधिक सुव्यवस्थित और केंद्रीकृत तरीके से प्रवेश प्राप्त कर सकेंगे। इसके साथ ही, आईटीईपी के चार वर्षीय कोर्स में जल्दी दाखिला मिलने से वे पहले से जल्दी शिक्षक बनने की दिशा में काम कर सकेंगे।
नई प्रणाली के तहत, छात्रों को अब प्रवेश परीक्षा के लिए एक ही प्लेटफॉर्म का उपयोग करना होगा, जो कि प्रक्रिया को सरल और अधिक पारदर्शी बनाएगा। इसके अलावा, बीएड और एमएड कोर्स के लिए एक वर्ष और दो वर्ष का विकल्प होने से छात्रों को अपनी शिक्षा को और अधिक अनुकूलित करने का मौका मिलेगा।
अगले साल से शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में होने वाले बदलाव भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होंगे। आईटीईपी, बीएड और एमएड कोर्स के लिए एनटीए द्वारा आयोजित एक केंद्रीयकृत प्रवेश परीक्षा से छात्रों को कई फायदे होंगे, जिनमें पारदर्शिता, समान अवसर, और प्रक्रिया की सरलता शामिल है।
यह बदलाव न केवल छात्रों के लिए, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए भी अहम साबित होगा। यदि सही तरीके से लागू किया गया, तो ये बदलाव भारतीय शिक्षा प्रणाली को एक नई दिशा देंगे और शिक्षक शिक्षा में गुणवत्ता को बढ़ावा देंगे।