केंद्रीय बजट 2025: मध्यवर्गीय करदाताओं को बड़ी राहत, अर्थशास्त्रियों ने सराहा

Union Budget 2025: A Major Relief for Middle-Class Taxpayers, Say Economists

KKN  गुरुग्राम डेस्क | केंद्रीय बजट 2025 को अर्थशास्त्रियों और वित्तीय विशेषज्ञों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है, खासकर मध्यवर्गीय आयकरदाताओं को दी गई महत्वपूर्ण कर राहत के लिए। विशेषज्ञों का मानना है कि ये उपाय आर्थिक विकास को गति देंगेखपत को बढ़ावा देंगे, और निवेश को प्रोत्साहित करेंगे, जिससे आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को साकार करने में मदद मिलेगी।

मध्यवर्गीय करदाताओं को राहत से बढ़ेगी खपत और आर्थिक गतिविधि

डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के पूर्व अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. एपी तिवारी ने बजट में दिए गए कर राहत की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा,

“वित्त मंत्री ने मध्यवर्गीय करदाताओं को राहत देकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इससे उनकी क्रय शक्ति (purchasing power) बढ़ेगी, जिससे उपभोक्ता खर्च (consumer spending) बढ़ेगा और आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी।”

उन्होंने आगे बताया कि मांग में वृद्धि होने से बचत और निवेश को भी प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे कर का दायरा (tax base) बढ़ेगा और सरकार का राजस्व संग्रह (government revenue) बेहतर होगा।

बजट में संभावित जोखिम और नीतिगत संतुलन की जरूरत

जहां इस बजट से सकारात्मक प्रभावों की उम्मीद की जा रही है, वहीं प्रो. तिवारी ने इससे जुड़े जोखिमों की ओर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि मांग में अचानक वृद्धि से मुद्रास्फीति (inflation) का खतरा बढ़ सकता है और कर राजस्व (tax revenue) में संभावित कमी आ सकती है।

“इस बजट को केवल कर राहत तक सीमित नहीं समझना चाहिए, बल्कि यह एक विकसित भारत (Developed India) का विजन प्रस्तुत करता है। इसमें कृषि, स्वास्थ्य, और भविष्य की तकनीकों जैसे कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence – AI) में निवेश पर विशेष ध्यान दिया गया है।”

मध्यवर्ग को मिली पहचान: प्रो. एमके अग्रवाल

लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर एमके अग्रवाल ने इस बजट में सरकार द्वारा मध्यवर्ग के योगदान को स्वीकार करने की सराहना की। उन्होंने कहा कि मध्यवर्ग ने कर दाखिल करने में बढ़-चढ़कर योगदान दिया है, और वर्षों के इंतजार के बाद उन्हें यह राहत मिली है।

₹12 लाख तक की आय पर कर मुक्त सीमा एक बहुत आवश्यक राहत है। इसके अलावा, मानक कटौती (standard deduction) और वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्रोत पर कर कटौती (TDS) में राहत भी सकारात्मक कदम हैं,” प्रो. अग्रवाल ने कहा।

उन्होंने यह भी बताया कि ये उपाय कर अनुपालन (tax compliance) को बढ़ावा देंगे और कर आधार (tax base) को व्यापक बनाएंगे, जिससे सरकार को अधिक राजस्व संग्रह में मदद मिलेगी।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था और MSME के लिए संतुलित बजट

विद्यांत हिंदू पीजी कॉलेज की सहायक प्रोफेसर स्मिता मिश्रा ने भी केंद्रीय बजट 2025 की सराहना की, खासकर इसके आर्थिक समावेशन (economic inclusivity) पर जोर देने के लिए। उन्होंने कहा कि यह बजट शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और तकनीक में निवेश करके आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक ठोस रोडमैप प्रस्तुत करता है।

“यह बजट सिर्फ मध्यवर्ग को राहत देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण भारत को भी मजबूती प्रदान करता है। कृषि क्षेत्र, MSMEs और किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा ₹5 लाख तक बढ़ाने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी,” उन्होंने कहा।

उन्होंने यह भी बताया कि कृषि और लघु उद्योगों को अधिक ऋण उपलब्ध कराना स्वरोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा देगा, जिससे नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे और ग्रामीण आय में वृद्धि होगी।

महिलाओं और हाशिए पर मौजूद समुदायों को सशक्त बनाने की पहल

इस बजट की एक प्रमुख घोषणा एक नई योजना है, जिसके तहत अगले पांच वर्षों में 5 लाख महिलाओं, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को ₹2 करोड़ तक का टर्म लोन प्रदान किया जाएगा।

स्मिता मिश्रा ने इस पहल को आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम बताया। उन्होंने कहा,

“महिलाओं और वंचित वर्गों को सुलभ ऋण सुविधा प्रदान करना आर्थिक भागीदारी (economic participation) को बढ़ावा देगा, आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करेगा और समावेशी विकास (inclusive growth) को सुनिश्चित करेगा।”

विकसित भारत के लिए सरकार का विजन

कर राहत के अलावा, केंद्रीय बजट 2025 दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता की ओर एक व्यापक रणनीति प्रस्तुत करता है। इस बजट में निम्नलिखित क्षेत्रों में बड़े निवेश की घोषणा की गई है:

  • कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था: किसानों और ग्रामीण उद्योगों के लिए वित्तीय सहायता बढ़ाई गई।
  • स्वास्थ्य क्षेत्र: स्वास्थ्य सुविधाओं के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाएगा।
  • तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): डिजिटल परिवर्तन और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।
  • शिक्षा: उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान और कौशल विकास के लिए अधिक बजट आवंटित किया गया।

इन पहलों का उद्देश्य भारत को एक वैश्विक आर्थिक शक्ति बनाना है और सभी वर्गों के लिए समान विकास सुनिश्चित करना है।

अंतिम विचार: क्या बजट भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा?

केंद्रीय बजट 2025 को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह करदाताओं को राहत, आर्थिक प्रोत्साहन, और समावेशी विकास के बीच संतुलन बनाए रखे। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो यह निम्नलिखित प्रभाव डाल सकता है:

  • मध्यवर्गीय परिवारों की आय में वृद्धि, जिससे उपभोक्ता खर्च (consumer spending) बढ़ेगा।
  • बचत और निवेश को बढ़ावा, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक विकास सुनिश्चित होगा।
  • कर आधार का विस्तार, जिससे सरकार को अधिक राजस्व संग्रह में मदद मिलेगी।
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार, जिससे शहरी-ग्रामीण आय असमानता कम होगी।

हालांकि, नीतियों का प्रभावी कार्यान्वयन और वित्तीय अनुशासन इन उपायों की सफलता के लिए महत्वपूर्ण होंगे|

आप एक करदाता या व्यवसायी के रूप में केंद्रीय बजट 2025 को कैसे देखते हैं? क्या यह आपकी उम्मीदों पर खरा उतरता है? अपनी राय नीचे साझा करें!

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