गेंहूं के फसल को सर्वाधिक नुकसान
KKN न्यूज ब्यूरो। गेंहूं की तैयार हो चुकी फसल की कटनी और दौनी का काम अभी पूरा भी नहीं हुआ था कि ओलावृष्टि से किसानो के अरमान चकनाचूर हो गये। आसमान से आफत की ऐसी बरसात हुई, जिसमें सिर्फ गेंहूं ही नही? बल्कि, खेतो में खड़ी मक्का और सब्जी की फसल को, थूर कर रख दिया। आम और लीची का मंजर भी नहीं बचा। गांव में अब किसान कहने लगें हैं कि लॉकडाउन की मार तो झेल भी लें। पर, फसल को हुई नुकसान को कैसे झेले?

उत्तर बिहार के कई जिलो में अप्रैल के दूसरे और तीसरे सप्ताह में गरज के साथ हुई बारिश और ओलावृष्टि ने ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को बिगाड़ कर रख दिया है। शिवहर जिला से सटे मुजफ्फरपुर जिला के मीनापुर में तबाही का मंजर कुछ ज्यादा ही है। बेलाहीलच्छी गांव के विनोद कुमार उर्फ शर्माजी कहतें है कि आसमान से गिरी पत्थर से गेंहूं का 50 प्रतिशत दाना खेत में ही झड़ गया। नन्दना के अरुण कुमार राय ने बताया कि उनके गांव में गेंहूं और करैला की फसल पूरी तरह से तबाह हो गया है। मालिकाना के दीपक सिंह और खरारू गांव के मोहन राय भी गेंहूं की फसल के बर्बाद होने से परेसान है।
ओलावृष्टि में सिर्फ फसल को तबाही हुई है, ऐसी बात नहीं है। बल्कि, आसमान से गिरे 200 ग्राम और इससे भी बड़े पत्थर से मकान को भी बहुत नुकसान हुआ है। गंगटी के रामजन्म साह बतातें हैं कि उनके घर का एसवेस्टस सात जगहो पर टूट गया है। गंगटी बाजार के कई दुकानो पर रखे एसवेस्टस को भी काफी नुकसान होने की खबर आई है। गंगटी से सटे सीतामढ़ी जिला अन्तर्गत रुन्नीसैदपुर थाना के कुम्हरार और इसके आसपास के गांवों में हुई ओलावृष्टि से लोगो की कमर टूट गई है। सहजपुर के किसान नीरज कुमार बतातें हैं कि लॉकडाउन से जितना नुकसान नहीं हुआ। उससे अधिक नुकसान तो ओलावृष्टि से हो गया।
Discover more from
Subscribe to get the latest posts sent to your email.