भारत में लड़कियों के खतना पर सुप्रीम कोर्ट गंभीर

दो दर्जन अफ्रीकी देश लगा चुकें हैं प्रतिबंध

KKN न्‍यूज ब्यूरो। भारत के दाऊदी बोहरा समुदाय की महिलाएं खतना के खतरनाक परंपराओं lसे बाहर आने की कसम-कस की दौर से गुजर रही है। बहरहाल, खतना पर रोक लगाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट बेहद गंभीर है। बतातें चलें कि अफ्रीका के 25 से अधिक देश महिलाओं के खतना पर पहले ही प्रतिबंध लगा चुकें हैं। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र ने महिलाओं के खतना को मानवाधिकार का उल्लंघन करार देते हुए इसे 2030 तक खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है।

महिलाओं की नाजुक अंगो को काटने की है परंपरा

दरअसल, खतना के दौरान महिलाओं के यौन अंग के क्लिटोरिस यानी भगांकुर भाग को ब्लेड, चाकू या कैंची से काट दिया जाता है। यह प्रक्रिया बिना एनिस्थीशिया दिए ही अंजाम दी जाती है। कई देशों में महिलाओं के यौन अंग की अंदरूनी और बाहरी त्वचा को भी हटाने की पंरपरा रही है। दरअसल, दाऊदी बोहरा सहित अन्य खतना समर्थक समुदाय मानते हैं कि क्लिटोरिस महिलाओं के शरीर का एक अनावश्यक अंग है और यह हराम की बोटी यानी पाप का स्रोत है। खतना समर्थक मानते है कि महिलाओं का क्लिटोरिस यौन सुख की पूर्ति के लिए विवाह से इतर संबंध बनाने की लालसा जगाती है, इसलिए इसे हटा देना चाहिए। इसी धारना के तहत महिलाओं का खतना किया जाता रहा है। इसका दुखद पहलू ये है कि इस वक्त 20 करोड़ से अधिक महिलाएं खतना की दर्दनाक प्रक्रिया से गुजर चुकी हैं।

अमानवीय परंपरा

दरअसल, खतना के नाम पर लड़कियों के साथ अमानवीय परंपरा का निर्वहन किया जाता रहा है। इस परपंरा के तहत लड़कियों या महिलाओं की योनि का क्लिटोरिस भाग को ब्लेड से काट कर आंशिक या पूर्ण रूप से हटा दिया जाता है। कई कबिलो में यौन अंग में चीरा लगाकर विशेष पदार्थ भर दिया जाता है, ताकि यौन सुख की अनुभूति न हो सके। अफ्रीकी, एशियाई और खाड़ी के कई देशों में महिलाओं के खतना की परंपरा आज भी प्रचलन में है। भारत के दाऊदी वोहरा समुदाय की महिलाओं में खतना परंपरा रही है, जो अब इसका विरोध करने लगे हैं। बतातें चलें कि गामबिया की जाहा दुकुरेह अफ्रीका में महिलाओं के खतना के विरोध में चलाए जा रहे अभियान का इस वक्त मुख्य चेहरा बन चुकें हैं। वह खुद बचपन में खतना का दंश झेल चुकी हैं। खुशी की बात ये है कि उन्हें 2018 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया है।

KKN लाइव WhatsApp पर भी उपलब्ध है, खबरों की खबर के लिए यहां क्लिक करके आप हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हैं।


Discover more from

Subscribe to get the latest posts sent to your email.