KKN ब्यूरो। वह 1 जून 2001 का मनहूस दिन था। नेपाल के इतिहास का एक ऐसा दिन जब पूरे देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में सनसनी फैल गई थी। नेपाल राजमहल में हुए इस खौफनाक नरसंहार ने सभी को झकझोर दिया था। दावा किया गया कि नेपाल के युवराज दीपेंद्र ने अपने माता-पिता समेत राजपरिवार के नौ सदस्यों की गोली मारकर हत्या कर दी और फिर खुद को भी गोली मार ली। लेकिन इस हत्याकांड से जुड़े रहस्य आज भी जस के तस बने हुए हैं।
क्या पारिवारिक कलह बनी हत्याकांड की वजह?
नेपाल के युवराज दीपेंद्र अपनी पसंद की लड़की देवयानी राणा से शादी करना चाहते थे, लेकिन उनकी मां रानी ऐश्वर्या और पिता राजा बीरेंद्र इस रिश्ते के खिलाफ थे। कहा जाता है कि इसी बात को लेकर परिवार में तनाव बढ़ गया था। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐश्वर्या ने साफ इनकार कर दिया था कि देवयानी राणा उनके परिवार के लिए उपयुक्त नहीं हैं। इसके बाद दीपेंद्र और उनके परिवार के बीच दरार गहरी होती गई।
क्या युवराज दीपेंद्र वाकई दोषी थे?
हालांकि आधिकारिक तौर पर यही कहा गया कि युवराज दीपेंद्र ने इस नरसंहार को अंजाम दिया, लेकिन इस पर कई सवाल खड़े होते रहे।
- नेपाल के कई लोगों को यह विश्वास नहीं था कि अपने ही परिवार के इतने सदस्यों को दीपेंद्र अकेले मार सकते थे।
- कुछ थ्योरीज के अनुसार, दीपेंद्र को पहले ही बेहोश कर दिया गया था और असली हमलावर कोई और था।
- हत्या के तुरंत बाद दीपेंद्र को अस्पताल ले जाया गया, जहां वे तीन दिन तक कोमा में रहे और फिर उनकी मौत हो गई।
- सबसे अहम सवाल यह रहा कि अगर उन्होंने खुद को गोली मारी थी, तो तीन दिन तक जीवित कैसे रहे?
हत्याकांड की 9 प्रमुख थ्योरीज
इस हत्याकांड से जुड़े कई सिद्धांत (थ्योरीज) सामने आए। आइए जानते हैं सबसे चर्चित 9 थ्योरीज:
- दीपेंद्र ने खुद किया नरसंहार
सरकारी रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह कहा गया कि दीपेंद्र ने अपनी मां से बहस के बाद शराब और नशे की गोलियां लीं। इसके बाद उन्होंने ऑटोमैटिक हथियार उठाया और अपने माता-पिता समेत 9 लोगों की हत्या कर दी। लेकिन इस सिद्धांत पर कई लोगों ने सवाल उठाए।
- नेपाली सेना की भूमिका
कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि नेपाल की सेना के कुछ गुटों ने यह हत्याकांड करवाया था। उनका मकसद नेपाल की राजनीतिक स्थिति को बदलना था। हालांकि, इस दावे के कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले।
- राजा बनने की साजिश
नेपाल के तत्कालीन राजा बीरेंद्र के छोटे भाई ज्ञानेंद्र उस रात महल में मौजूद नहीं थे। हत्याकांड में राजा बीरेंद्र के पूरे परिवार का सफाया हो गया, लेकिन ज्ञानेंद्र और उनके परिवार को कोई नुकसान नहीं हुआ। बाद में ज्ञानेंद्र नेपाल के नए राजा बने, जिससे उन पर भी शक की सुई गई।
- बाहरी शक्तियों की साजिश
नेपाल के पूर्व पैलेस मिलिट्री सेक्रेट्री जनरल बिबेक शाह ने अपनी किताब ‘माइले देखेको दरबार’ में दावा किया कि इस हत्याकांड के पीछे भारत की खुफिया एजेंसी रॉ का हाथ था। हालांकि, भारत सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था।
- नेपाल में राजनीतिक षड्यंत्र
नेपाल के विदेश मंत्री रह चुके चक्र बासटोला ने भी दावा किया कि इस हत्याकांड के पीछे नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोईराला को मारने की साजिश थी।
- राजमहल के गार्ड्स की भूमिका
नारायणहिटी राजमहल में सुरक्षा के कड़े इंतजाम होते थे, लेकिन हत्याकांड की रात कोई भी गार्ड घटनास्थल पर क्यों नहीं पहुंचा? इस पर कई बार सवाल उठाए गए। क्या राजमहल की सुरक्षा टीम खुद इस साजिश का हिस्सा थी?
- प्रिंस पारस पर शक
हत्याकांड की रात प्रिंस पारस भी महल में मौजूद थे, लेकिन उन्हें कोई चोट नहीं आई। पारस पहले भी अपने आक्रामक व्यवहार और गलत कामों के लिए बदनाम थे, जिससे लोगों को उन पर भी शक हुआ।
- नकाबपोश हमलावरों का रहस्य
कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि महल में दो नकाबपोश लोग घुसे थे, जिन्होंने गोलीबारी की और फरार हो गए। लेकिन यह सिद्धांत कभी साबित नहीं हो पाया।
- सेल्फ बॉम्बिंग थ्योरी
एक और थ्योरी के मुताबिक, यह हत्याकांड एक आत्मघाती हमले (Suicide Bombing) का नतीजा था, लेकिन इस दावे के भी कोई ठोस सबूत नहीं मिले।
नेपाल रॉयल हत्याकांड का असर
नेपाल में इस हत्याकांड के बाद जबरदस्त उथल-पुथल मच गई।
- जनता ने राजा बीरेंद्र की मौत पर शोक जताया और नेपाल में राजशाही के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
- 2008 में नेपाल की राजशाही खत्म कर दी गई और नेपाल को गणराज्य घोषित कर दिया गया।
- आज भी यह हत्याकांड नेपाल के सबसे बड़े रहस्यों में से एक माना जाता है।
क्या नेपाल राजपरिवार हत्याकांड कभी सुलझेगा?
24 साल बाद भी यह सवाल बना हुआ है कि इस हत्याकांड का असली जिम्मेदार कौन था? आधिकारिक रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसका दोष दीपेंद्र पर मढ़ दिया गया, लेकिन जनता के मन में आज भी सवाल हैं। नेपाल के इतिहास में यह घटना हमेशा एक अनसुलझी गुत्थी बनी रहेगी।
नेपाल रॉयल हत्याकांड अब भी नेपाल के सबसे बड़े राजनीतिक और ऐतिहासिक रहस्यों में से एक है। क्या भविष्य में कोई नई जानकारी सामने आएगी, या यह मामला हमेशा के लिए रहस्य बना रहेगा? यह सवाल अब भी अनसुलझा है।