भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। वे अपनी कुशल नेतृत्व क्षमता, क्रांतिकारी व्यक्तित्व और जन कल्याणी विचारों के लिए हमेशा याद किए जाते रहेंगे। कहतें है कि एक वक्त ऐसा आया जब उन्होंने देश को मुसीबत से बाहर निकालने के लिए लोगो से सप्ताह में एक रोज भोजन नहीं करने की अपील की थी और उनकी इस अपील पर लोगो ने एक रोज का उपवास भी शुरू कर दिया था। स्वयं शास्त्रीजी भी प्रधानमंत्री रहते हुए सप्ताह में एक रोज भोजन नहीं करके एक मिशाल कायम कर दिया था। इतना ही नहीं बल्कि, देश को आर्थिक संकट से निकालने के लिए उन्होंने वेतन लेने से भी मना कर दिया था।
Article Contents
जानिए, भोजन नहीं करने का कारण
दरअसल, चीन के साथ 1962 के युद्ध में भारत को बहुत नुकसान हुआ था। इसी का फायदा उठाने के लिए पाकिस्तान ने 1965 में भारत पर एक और युद्ध थोप दिया। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाक को मुंहतोड़ जवाब देकर उसे पराजित कर दिया। किंतु, युद्ध के बाद भारत में वित्तीय संकट गहराने लगा था। ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री ने रामलीला मैदान से लोगों से अपील की कि, सभी अपने फालतू के खर्चे छोड़ दें और हफ्ते में एक दिन का उपवास रखें। जिससे भारत को अमेरिका से गेंहू ज्यादा ना खरीदना पड़े और भारत को जल्दी वित्तीय संकट से उबरा जा सके। उन्होंने खुद भी एक दिन उपवास रखना शुरू कर दिया था।
वेतन लेने से किया इनकार
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भारत को इस वित्तीय संकट से निकालने के लिए अपना वेतन लेने से भी मना कर दिया था। यहां तक कि कहा जाता है कि एक बार शास्त्री जी की धोती फट गई थी तो उन्होंने नई धोती की जगह फटी धोती ही सिलने का आदेश दिया था। मौजूदा भारत के नेताओं के लिए आज यह नजीर है और देश के लोगो के लिए प्रेरणा का स्त्रोत भी है।
Discover more from
Subscribe to get the latest posts sent to your email.