- खेतो के लिए अमृत बना बूंद बूंद सिचाई योजना
-टपक सिंचाई से खेतो मे हरियाली
संतोष कुमार गुप्ता
मुजफ्फरपुर। उत्तर बिहार मे गर्मी ने दस्तक दे दी है। वैशाख की चिल्लचिलाती धूप असहनिय होता जा रहा है। गर्मी से आम आदमी ही नही किसान भी परेशान है। पोखर, तलाब, मन व नदियो के पानी सुख गये है। चापाकल का पानी भी पताल मे चला गया है। लोगो के सामने सुखा व पानी का संकट बहुत बड़ी समस्या है।खेतो के फसल भी सुखने लगे है। किंतु मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर प्रखंड अन्तर्गत घोसौत की महिला किसानो ने सुखा व जलसंकट से निबटने के लिए नया तरकीब निकाला है। जीविका परियोजना की महत्वकांक्षी योजना बूंद बूंद सिंचाई योजना खेतो के लिए अमृत साबित हो रहा है। भीषण गरमी मे भी घोसौत की खेतो मे फसल की हरियाली पर कोई असर नही हुआ है। यहां के खेतो मे टपक योजना से खेतो को नियमित पानी मिल रही है। इसमे पम्पिंग सेट से पानी के पटवन का भी कोई झंझट नही है। गरमी को देखते हुए घोसौत गांव के वीणा देवी,सुनैना देवी,मिर्जा देवी,पम्मी देवी,अनिता देवी,व अमृता देवी के खेतो मे बांस के मचान पर पानी टंकी लगाया गया है। यहां पर राधा, गुलाब,उजाला स्वय सहायता समूह की महिलाऐ खेती करती है। खेतो मे बैगन,टमाटर,भिंडी आदि सब्जियो की फसल लगायी गयी है। करीब 30 कट्ठा खेतो मे बूंद बूंद सिंचाई योजना से खेती किया जाता है। महिलाऐ यहां अंतर्वती खेती भी करती है। बूंद बूंद सिंचाई योजना बहुत ही सस्ता है। महिला किसानो की माने तो पानी टंकी पर करीब चार हजार रूपये खर्च आते है। दो कट्ठा खेतो मे पाइप बिछाने पर करीब दस हजार रूपया खर्च आता है। बिजली रहने पर सात मिनट मे मोटर से टंकी को फुल कर लिया जाता है। खेतो मे बिछे पाइप मे पौधा जहां लगा होता है वहां वहां छिद्र होता है। सीधे पौधा तक पानी मिलता है। पानी की बर्बादी नही होती है। पैसे व समय की बचत होती है। खेतो मे खर पतवार भी नही लगता है.फसलो को नियमित पानी मिलता रहता है। उत्पाद का साइज भी एक समान रहता है। साथ ही मजदूरो की भी बचत होती है। सबसे खास बात यह है कि पानी का खपत कम होता है। खेतो मे घास भी न के बराबर रहता है। घोसौत के महिलाओ ने गर्मी को देखते हुए फसल को बचाने के लिए बेहतर विकल्प चुन लिया है।
Discover more from
Subscribe to get the latest posts sent to your email.