KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार के राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान ने शुक्रवार को प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के दौरान संगम का भ्रमण किया और भारत की सनातन संस्कृति को महान बताया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ का आयोजन भारतीय संस्कृति की एकता और सहिष्णुता को दर्शाता है।
सनातन संस्कृति: एकता और समरसता का प्रतीक
प्रयागराज दौरे के दूसरे दिन, राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति का मूल तत्व “एकात्मता” है, जहां सभी भेदभाव समाप्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा,
“हमारी संस्कृति हमें सिखाती है कि यदि हम हर मानव को उसके दिव्य रूप में देखें, तो हमें यह एहसास होगा कि मानव ही माधव का स्वरूप है।”
उन्होंने आगे कहा कि सनातन परंपरा सभी को समान दृष्टि से देखने की सीख देती है। यह समाज में प्रेम, भाईचारे और सहिष्णुता को बढ़ावा देती है।
महाकुंभ: भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर
राज्यपाल ने महाकुंभ के भव्य आयोजन को भारत की आध्यात्मिक शक्ति और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि
“महाकुंभ में हर वर्ग, जाति और भाषा के लोग एक साथ आते हैं और आध्यात्मिक एकता की मिसाल पेश करते हैं।”
उन्होंने बताया कि यह आयोजन यह सिद्ध करता है कि भारत की परंपरा हमेशा मानवता को जोड़ने का कार्य करती है। यहां आने वाले लोग भले ही एक-दूसरे को न जानते हों, लेकिन फिर भी वे एक परिवार की तरह मिलकर इस पावन आयोजन में भाग लेते हैं।
भारतीय संस्कृति की सुरक्षा और संरक्षण जरूरी
अपने संबोधन में राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान ने भारतीय संस्कृति और मूल्यों के संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने कहा,
“हमें अपनी विरासत, आदर्श और मूल्यों को जीवंत रखना जरूरी है, क्योंकि यही वे तत्व हैं, जो हमारे समाज को एकजुट रखते हैं और समरसता की भावना को मजबूत करते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत की संस्कृति सहिष्णुता और परोपकार को बढ़ावा देती है, जो समाज को समृद्ध और शांतिपूर्ण बनाती है।
भारत की सनातन संस्कृति: शाश्वत एकता का संदेश
राज्यपाल ने कहा कि भारत की सनातन परंपरा हर प्रकार के भेदभाव को खत्म करती है। उन्होंने कहा,
“सनातन संस्कृति हमें यह सिखाती है कि मानवता ही सबसे बड़ी पूजा है। यह परंपरा सभी को जोड़ने का कार्य करती है।”
उन्होंने सभी नागरिकों से आग्रह किया कि भारतीय संस्कृति की समृद्ध धरोहर को बनाए रखें और आने वाली पीढ़ियों को इसका महत्व समझाएं।
महाकुंभ 2025 में राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान की उपस्थिति ने भारतीय संस्कृति और परंपराओं की गहरी जड़ों को उजागर किया। उन्होंने इस आयोजन को सामाजिक समरसता, आध्यात्मिकता और एकता का प्रतीक बताया।
महाकुंभ, जो हर 12 वर्षों में आयोजित होता है, दुनिया भर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है। राज्यपाल ने भारतीय परंपराओं को संरक्षित रखने और सनातन संस्कृति को अपनाने का संदेश दिया।
भारत की सनातन परंपरा आज भी लोगों को जोड़ने और समाज को एक नई दिशा देने का कार्य कर रही है। महाकुंभ 2025 इसका सबसे बड़ा प्रमाण है।
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