पीले पड़ने के छह माह में सूख रहा है आम का पेड़
KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार के मुजफ्फरपुर में अज्ञात रोग की चपेट में आने से आम का पेड़ सूखने लगा है। इससे पहले 90 की दशक में इसी तरह से शीशम के पेड़ सूखने लगा था और आज इलाके से शीशम की प्रजाती लगभग विलुप्त हो चुकी है। नतीजा, आम को लेकर किसानो में चिंता गहराने लगी है। दूसरी ओर कृषि विभाग के अधिकारी खेतों में पोषण की कमी और हार्मोन में बदलाव को इसके लिए जिम्मेदार बता रहे हैं। इस बीच आम के पेड़ सूखने से लाखों रुपये का नुकसान उठा चुके किसान खाली पड़े खेतों में फिर से लीची का पौधा लगाकर नुकसान की भरपाई करने में लगे हैं।
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15 से 20 साल के पेड़ रोग की चपेट में
जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर मीनापुर के आधा दर्जन गांवों में 15 से 20 साल पुराना आम का पेड़ अज्ञात बीमारी की चपेट में आकर सूख रहा है। इससे किसानों में हड़कंप मच गया है। कृषि विभाग के अधिकारी खेतों में पोषण की कमी और हार्मोन में बदलाव को इसके लिए जिम्मेदार बता रहे हैं। फिलहाल, आम का पेड़ सूखने की सर्वाधिक शिकायत अलीनेउरा गांव से आई है। गांव के ज्वाला प्रसाद सिंह बताते हैं कि 4.5 लाख रुपये खर्च कर वर्ष 2005 में तीन एकड़ जमीन पर आम के 60 पौधे लगाये थे। अब इसमें का एक पेड़ बच गया है। इसी प्रकार भोला सिंह ने एक एकड़ में 20 पौधे लगाये थे। इसमें का दस पेड सूख चुका है। किसानों ने बताया कि पहले आम के पेड़ पीले पड़ने लगे और अगले छह महीने से सालभर में सूख जाते हैं। अलीनेउरा के अतिरिक्त सहजपुर, नूरछपरा और मझौलिया गांव के दर्जनों किसानों के आम के पेड़ सूख जाने से लाखों रुपये का नुकसान उठा चुके हैं। बताया जा रहा है कि आम का पेड़ सूखने का यह सिलसिला वर्ष 2017 के बाद शुरू हुआ और पिछले तीन वर्षों में 100 से अधिक पेड़ सूख जाने से किसान हैरान हैं।
हार्मोन में बदलाव है कारण
उद्यान विभाग के सहायक निदेशक अरुण कुमार जमीन में हार्मोन चेंज और पोषण की कमी को आम का पेड़ सूखने का प्रमुख कारण बताते हैं। उन्होंने इसके बचाव के लिए किसानों को कॉपर ऑक्सिक्लोराइड और एग्रीमाइसिन को पानी के साथ छिड़काव करने और गर्मी की मौसम में समय-समय पर खेतों का नियमित पटवन करने का सुझाव दिया है। विदित हो कि 90 की दशक में इसी तरह से शीशम के पेड़ सूखने लगा था और आज इलाके से शीशम की प्रजाती लगभग विलुप्त हो चुकी है।
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