KKN गुरुग्राम डेस्क | वक्फ संशोधन अधिनियम पर सरकार और विपक्षी दलों के बीच तकरार लगातार बढ़ती जा रही है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह कानून संविधान के खिलाफ है, जबकि सरकार का कहना है कि इस कानून से वक्फ से जुड़े भूमि विवादों में कमी आएगी और वक्फ बोर्ड का कार्य और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह होगा। वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस कानून के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए ऐलान किया कि यह कानून राज्य में लागू नहीं होगा।
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ममता बनर्जी ने न केवल वक्फ संशोधन अधिनियम पर विरोध जताया, बल्कि इस कानून के समय और इसके उद्देश्य पर भी सवाल उठाए। इस आर्टिकल में हम आपको ममता बनर्जी के बयान, वक्फ कानून की प्रमुख बातें और बंगाल में इस मुद्दे से जुड़े हालात पर चर्चा करेंगे।
ममता बनर्जी का एलान: बंगाल में लागू नहीं होगा वक्फ संशोधन अधिनियम
ममता बनर्जी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री, ने 9 अप्रैल 2025 को कोलकाता में जैन समुदाय के एक कार्यक्रम में यह बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा, “मैं अल्पसंख्यक समुदाय और उनकी संपत्तियों की रक्षा करूंगी। मैं जानती हूं कि वक्फ अधिनियम के लागू होने से आपको तकलीफ हुई है, लेकिन आप मुझ पर भरोसा रखें, बंगाल में ऐसा कुछ नहीं होगा जिससे कोई बांटकर शासन कर सके।” ममता ने यह भी कहा कि बांग्लादेश की स्थिति को देखते हुए, वक्फ संशोधन विधेयक को पारित करना गलत था।
ममता बनर्जी का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक समुदाय की बड़ी संख्या है, और यह कानून धार्मिक और सांप्रदायिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है। ममता का यह विरोध सीधे तौर पर केंद्र सरकार और भा.ज.पा. द्वारा किए गए इस कदम के खिलाफ है।
वक्फ संशोधन अधिनियम क्या है?
वक्फ संशोधन अधिनियम को पिछले हफ्ते लोकसभा और राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था। इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी। सरकार का तर्क है कि इस कानून के लागू होने से वक्फ बोर्डों को पारदर्शी, कुशल और जवाबदेह बनाने में मदद मिलेगी, जिससे वक्फ से जुड़ी भूमि विवादों को सुलझाया जा सकेगा।
इस कानून के अंतर्गत, वक्फ बोर्डों की निगरानी बढ़ाई जाएगी और इसमें सुधार किए जाएंगे ताकि उनके द्वारा प्राप्त संपत्तियों का सही उपयोग हो सके। हालांकि, विपक्षी दलों का कहना है कि यह कानून संविधान के खिलाफ है और यह धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करता है।
विपक्ष का विरोध और हिंसा का घटनाक्रम
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। जंगीपुर इलाके में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस से संघर्ष किया और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाया। इस हिंसा के बाद पुलिस प्रशासन ने धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू की, जिससे सार्वजनिक स्थानों पर पांच या उससे अधिक लोगों के एकत्रित होने पर पाबंदी लगा दी गई।
विरोध के बीच भा.ज.पा. नेता सुवेंदु अधिकारी ने ममता सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि राज्य सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने में नाकाम रही है। अधिकारी ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी वोट बैंक की राजनीति कर रही हैं और स्थिति को बिगाड़ने का काम कर रही हैं। उन्होंने केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की और राज्य के मुख्य सचिव से हस्तक्षेप करने की अपील की।
वक्फ संशोधन अधिनियम और बंगाल का राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
ममता बनर्जी का यह विरोध सीधे तौर पर केंद्र सरकार और भा.ज.पा. के खिलाफ है। बंगाल में अल्पसंख्यकों का काफी प्रभाव है, और ममता का कहना है कि यह कानून किसी एक विशेष समुदाय के खिलाफ हो सकता है। इसके साथ ही, ममता ने बांग्लादेश का उदाहरण दिया और इस कानून के खिलाफ अपनी चिंताओं को उजागर किया।
ममता का यह बयान राज्य में एक मजबूत धार्मिक और सांप्रदायिक आधार पर राजनीति करने का संकेत देता है। उनके अनुसार, वक्फ कानून के जरिए केवल एक समुदाय को फायदा पहुंचाने की कोशिश की जा रही है, जो बंगाल में सामाजिक असंतुलन पैदा कर सकता है।
केंद्र और राज्य के बीच संघर्ष: वक्फ कानून का भविष्य
वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर अब दो मुख्य खेमे बन गए हैं – एक जो केंद्र सरकार के पक्ष में खड़ा है और दूसरा जो ममता बनर्जी के नेतृत्व में इस कानून के विरोध में है। ममता का स्पष्ट कहना है कि इस कानून को बंगाल में लागू नहीं किया जाएगा। इस पर केंद्रीय सरकार ने नाराजगी जताई है, और राज्य सरकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात की है।
यह राजनीतिक टकराव एक बड़े संघर्ष की ओर बढ़ सकता है, खासकर जब यह मुद्दा वोट बैंक राजनीति और धार्मिक समीकरणों से जुड़ा हो। अगर राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच टकराव जारी रहता है, तो यह मुद्दा आगे चलकर संविधान और राज्य अधिकार के विवाद में बदल सकता है।
राज्य में हिंसा और सुरक्षा व्यवस्था
वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़कने से मुर्शिदाबाद और अन्य जिलों में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। पुलिस और प्रशासन ने इसे नियंत्रित करने के लिए कड़ी कार्रवाई की है। सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया है, और सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी प्रकार के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है।
हालांकि, विपक्षी दलों का कहना है कि ममता सरकार इस स्थिति को नियंत्रित करने में विफल रही है और इस विरोध को शांत करने के लिए वह कोई ठोस कदम नहीं उठा रही हैं।
ममता बनर्जी का वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में यह कदम राज्य की राजनीति को और जटिल बना सकता है। जहां एक ओर केंद्र सरकार इसे एक सुधार के रूप में पेश कर रही है, वहीं दूसरी ओर ममता बनर्जी इसे धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों के खिलाफ मान रही हैं।
इस राजनीतिक संघर्ष का भविष्य आगामी विधानसभा चुनावों और क्षेत्रीय राजनीति पर गहरा असर डाल सकता है। वक्फ कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल में जारी विरोध प्रदर्शन और हिंसा, राज्य में एक नए राजनीतिक माहौल का निर्माण कर सकती है।
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