KKN गुरुग्राम डेस्क | हाल ही में दुनिया के सबसे ताकतवर पासपोर्ट की रैंकिंग जारी की है, जिसमें आयरलैंड का पासपोर्ट पहले स्थान पर रहा है। यह पहली बार है जब आयरलैंड ने इस रैंकिंग में टॉप किया है। वहीं, भारत की रैंकिंग में गिरावट आई है, जबकि पाकिस्तान का पासपोर्ट दुनिया के सबसे कमजोर पासपोर्ट में से एक बना हुआ है।
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इस लेख में हम आयरलैंड के पासपोर्ट की सफलता, भारत की गिरती रैंकिंग और पासपोर्ट रैंकिंग तय करने के तरीके पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
पासपोर्ट रैंकिंग कैसे तय होती है?
Nomad Capitalist Passport Index अन्य पासपोर्ट रैंकिंग से अलग तरीके से पासपोर्ट की ताकत का मूल्यांकन करता है। सामान्य तौर पर, पासपोर्ट की ताकत का माप इस बात से किया जाता है कि वह कितने देशों में वीजा-मुक्त यात्रा की सुविधा देता है, लेकिन नोमैड पासपोर्ट इंडेक्स हर साल यह भी देखता है कि देशों का वैश्विक प्रभाव कैसे बदल रहा है।
नोमैड कैपिटलिस्ट पांच प्रमुख कारकों के आधार पर पासपोर्ट की रैंकिंग तय करता है:
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वीजा-मुक्त यात्रा (50%): यह सबसे बड़ा कारक है, जो यह बताता है कि एक पासपोर्ट धारक कितने देशों में वीजा के बिना यात्रा कर सकता है।
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कर प्रणाली (20%): किसी देश की कर नीति, जो नागरिकों की वित्तीय स्वतंत्रता पर असर डालती है।
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वैश्विक प्रतिष्ठा (10%): किसी देश की अंतरराष्ट्रीय छवि, जो नागरिकों के लिए यात्रा की स्वतंत्रता को प्रभावित करती है।
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दोहरी नागरिकता (10%): किसी देश में दोहरी नागरिकता रखने की अनुमति।
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निजी स्वतंत्रता (10%): नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकार, जो उन्हें देश और विदेश में प्राप्त होते हैं।
इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए हर साल पासपोर्ट की ताकत का मूल्यांकन किया जाता है।
2025 में आयरलैंड का पासपोर्ट सबसे ताकतवर
नोमैड कैपिटलिस्ट पासपोर्ट इंडेक्स 2025 के मुताबिक, आयरलैंड का पासपोर्ट 109 के स्कोर के साथ दुनिया का सबसे ताकतवर पासपोर्ट है। पिछले साल आयरलैंड स्विट्जरलैंड से पीछे था, लेकिन इस साल वह फिर से नंबर 1 पर आ गया है। 2020 में आयरलैंड ने लक्ज़मबर्ग और स्वीडन के साथ मिलकर पहला स्थान हासिल किया था।
नोमैड कैपिटलिस्ट के शोध सहयोगी जेवियर कोरेया के मुताबिक, आयरलैंड को यह बढ़त तीन मुख्य कारणों से मिली है:
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मजबूत अंतरराष्ट्रीय छवि: आयरलैंड की अंतरराष्ट्रीय छवि बहुत मजबूत है, जिससे उसके नागरिकों के लिए यात्रा करना आसान होता है।
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व्यापार के लिए अनुकूल कर नीति: आयरलैंड की कर नीति विदेशी निवेशकों और व्यवसायों के लिए आकर्षक है।
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लचीली नागरिकता नीति: आयरलैंड की नागरिकता नीति लचीली है, जो दुनिया के कई देशों में रहने और काम करने की स्वतंत्रता प्रदान करती है।
आयरलैंड के पासपोर्ट की ताकत का एक और बड़ा कारण यह है कि आयरिश नागरिकों को पूरे यूरोपीय संघ (EU) और विशेष रूप से यूनाइटेड किंगडम (UK) में बिना किसी रोक-टोक के रहने और काम करने की सुविधा मिलती है।
2025 के सबसे ताकतवर और सबसे कमजोर पासपोर्ट
नोमैड कैपिटलिस्ट पासपोर्ट इंडेक्स 2025 के अनुसार, सबसे ताकतवर पासपोर्ट वाले देशों की सूची में आयरलैंड पहले स्थान पर है, इसके बाद स्विट्जरलैंड और ग्रीस दूसरे स्थान पर हैं। टॉप 10 पासपोर्ट की सूची में यह देश शामिल हैं:
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आयरलैंड
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स्विट्जरलैंड
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ग्रीस
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पुर्तगाल
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माल्टा
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इटली
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लक्जमबर्ग
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फिनलैंड
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नॉर्वे
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संयुक्त अरब अमीरात (UAE), न्यूजीलैंड, और आइसलैंड (तीनों 10वें स्थान पर)
ये देश पासपोर्ट की ताकत के मामले में सबसे ऊपर हैं, क्योंकि इन देशों के नागरिकों को अधिक स्वतंत्रता, वीजा-मुक्त यात्रा और बेहतर टैक्स नीतियां मिलती हैं।
वहीं, पाकिस्तान का पासपोर्ट हमेशा की तरह दुनिया के सबसे कमजोर पासपोर्ट में गिना गया है। पाकिस्तान का पासपोर्ट रैंकिंग के हिसाब से सबसे नीचे के स्थानों पर है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान के नागरिकों को विदेश यात्रा करने में कई कठिनाइयाँ होती हैं।
भारत का पासपोर्ट रैंकिंग: गिरावट आई
भारत का पासपोर्ट इस बार 148वें स्थान पर आया है, जो कि कोमोरोस के साथ साझा किया गया है। भारत को कुल 47.5 अंक मिले, जिनमें से:
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कर प्रणाली (टैक्स): 20 अंक
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वैश्विक प्रतिष्ठा (इमेज): 20 अंक
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दोहरी नागरिकता की सुविधा: 20 अंक
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निजी स्वतंत्रता: 20 अंक
भारत की रैंकिंग में गिरावट देखी गई है, क्योंकि पिछले साल यह मोज़ाम्बिक के साथ 147वें स्थान पर था। इसके अलावा, हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में भी भारत की रैंकिंग गिरकर 85वीं हो गई है। यह इंडेक्स IATA (अंतरराष्ट्रीय वायु परिवहन संघ) के डेटा पर आधारित है, जो केवल वीजा-मुक्त यात्रा को ही प्राथमिकता देता है।
भारत की गिरती पासपोर्ट रैंकिंग के कारण
भारत की गिरती पासपोर्ट रैंकिंग को लेकर कई कारक जिम्मेदार हैं। इसके प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
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वीजा संबंधी कड़े नियम: भारत के नागरिकों को बहुत से देशों में वीजा प्राप्त करने में कठिनाई होती है, जिससे उनकी यात्रा की स्वतंत्रता सीमित हो जाती है।
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निवासी और नागरिक अधिकार: भारत में नागरिकता और दोहरी नागरिकता की नीतियों में कड़े नियम हैं, जो अन्य देशों के नागरिकों की तुलना में अधिक प्रतिबंधित हैं।
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वैश्विक छवि: भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि में कुछ सुधार की आवश्यकता है, क्योंकि इसके प्रभाव के कारण भारतीय पासपोर्ट की ताकत में कमी आई है।
Nomad Capitalist Passport Index 2025 ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि पासपोर्ट की ताकत केवल वीजा-मुक्त यात्रा की सुविधा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक देश की वैश्विक छवि, कर नीति, और नागरिकों की स्वतंत्रता पर भी निर्भर करती है। आयरलैंड का पासपोर्ट इस साल नंबर 1 पर आकर यह दर्शाता है कि वैश्विक पटल पर किसी देश की छवि और उसकी नीतियाँ कितनी महत्वपूर्ण होती हैं।
भारत को अपनी पासपोर्ट रैंकिंग सुधारने के लिए वीजा नीतियों में लचीलापन लाने, नागरिकता कानूनों को सुधारने और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को बेहतर बनाने की आवश्यकता है। अगर भारत इन पहलुओं पर ध्यान देता है, तो भविष्य में उसकी पासपोर्ट रैंकिंग में सुधार हो सकता है।
यह बदलाव दर्शाता है कि देशों के पासपोर्ट के मूल्यांकन में केवल राजनीतिक और सामाजिक कारक नहीं, बल्कि आर्थिक और व्यावसायिक नीतियां भी बड़ी भूमिका निभाती हैं।
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