KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार के मुजफ्फरपुर का ख्याति प्राप्त लीची बगान और बगान में पसरा सन्नाटा। लॉकडाउन में फंसे व्यापारी के बगान तक नहीं पहुंचने से मीनापुर के किसान हतप्रद है। मई का तिसरा सप्ताह शुरू हो चुका है। पेंड पर लदे लीची में लालिमा आने लगी है। किसानो ने पास अब सिर्फ दो सप्ताह का समय शेष बचा है। लीची बिक गया तो ठीक। नहीं तो उम्मीदो पर पानी फिरना तय माना जा रहा है। लीची उत्पादक किसानो के लिए आर्थिक नुकसान को सह पाना मुश्किल होगा। वह भी तब, जब सब्जी की खेती से पहले ही यहां के किसान भारी नुकसान उठा चुकें हैं।
हताश किसानो का अब एक ही आसरा बचा है और वह है सरकार से मदद। नतीजा, मीनापुर के किसान सरकार से मुआवजा देने की मांग करने लगे है। गुरुवार को सहजपुर के नीरज कुमार ने मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर लीची उत्पादक किसानो की पीड़ा से उन्हें अवगत कराया और लीची व आम की खेती करने वाले किसानो को विशेष राहत देने की मांग की। नीरज ने लीची व आम उत्पादक किसानो को अलग से मुआवजा देने की मांग की है। किसानो का कहना है कि यदि सरकार से तत्काल मुआवजा नहीं मिला तो किसानो की कमर टूट जायेगी।
स्मरण रहें कि कांटी और मुशहरी के बाद तिसरे स्थान पर मीनापुर में करीब 895 हैक्टेयर जमीन पर लीची का बगान है। यहां की लीची दिल्ली, मुबंई, कोलकाता और लखनउ समेत पूरे देश में सप्लाई की जाती है। मीनापुर के लीची का नेपाल में भी जबरदस्त डिमांड रहता है। किंतु, लॉकडाउन की वजह से इस वर्ष व्यापारी के नहीं आने से लीची का अधिकांश बगान अभी तक नहीं बिका है। किसानो ने बताया कि उनके जीवन की यह पहली घटना है, जब लीची के सीजन में लीची का बगान सुना पड़ा है।
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